Ankita Bhandari News: उत्तराखंड के कोटद्वार में बहुचर्चित Ankita भंडारी हत्याकांड का फैसला 30 मई 2025 को सुनाया जाएगा। यह मामला पूरे देश में सुर्खियों में रहा और महिलाओं की सुरक्षा से जुड़े गंभीर सवालों को उठाया है। 19 वर्षीय Ankita भंडारी, जो पौड़ी गढ़वाल जिले के यमकेश्वर ब्लॉक में वनंत्रा रिजॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट थीं, उनकी हत्या का आरोप रिजॉर्ट के मालिक पुलकित आर्य और उनके दो साथियों सौरभ भास्कर व अंकित गुप्ता पर है। अदालत ने इस मामले की सुनवाई पूरी कर ली है और अब फैसला सुरक्षित रखा गया है।
यह मामला 18 सितंबर 2022 का है, जब अंकिता को रिजॉर्ट के मालिक और उनके सहयोगियों ने चीला नहर में धकेल कर मार डाला था। अंकिता के शव को लगभग एक सप्ताह बाद नहर से बरामद किया गया था। अभियोजन पक्ष का कहना है कि अंकिता पर रिजॉर्ट में आने वाले वीआईपी मेहमानों को अनैतिक सेवाएं देने का दबाव था, जिसका उसने विरोध किया था। विरोध के कारण आरोपियों ने उसकी हत्या की साजिश रची। मुख्य आरोपी पुलकित आर्य भाजपा के पूर्व नेता विनोद आर्य के पुत्र हैं, जिन्हें इस घटना के बाद पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था।
कोर्ट में सुनवाई 28 मार्च 2023 से शुरू होकर लगभग दो साल आठ महीने तक चली। इस दौरान अभियोजन पक्ष ने 97 गवाहों में से 47 को पेश किया। अंतिम सुनवाई 19 मई 2025 को हुई, जिसमें अभियोजन पक्ष ने अपने आरोपों को पुनः मजबूत किया। विशेष लोक अभियोजक अवनीश नेगी ने कहा कि सभी आरोप प्रमाणित हो चुके हैं और तीनों आरोपियों को सख्त सजा मिलनी चाहिए। मुख्य गवाह विवेक आर्य ने अदालत में बताया कि अंकिता ने फोन पर उसे कई बार रिजॉर्ट के मैनेजर सौरभ भास्कर और पुलकित आर्य द्वारा शारीरिक शोषण की बात बताई थी।
एसआईटी ने इस केस की गहन जांच के बाद लगभग 500 पेज की चार्जशीट दाखिल की है। मुख्य आरोपी पुलकित आर्य पर हत्या, साक्ष्य छिपाने, छेड़खानी और अनैतिक देह व्यापार अधिनियम के तहत आरोप हैं। सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता पर भी हत्या और अन्य गंभीर आरोप हैं। तीनों आरोपियों की जमानत याचिकाएं उच्च न्यायालय और सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी हैं।
यह घटना उत्तराखंड में भारी आक्रोश का कारण बनी थी। लोगों ने प्रदर्शन किए और सोशल मीडिया पर भी न्याय की मांग तेज हुई। अंकिता के परिवार ने बार-बार कहा कि यह लड़ाई केवल उनकी बेटी की नहीं, बल्कि हर उस लड़की की है जो अपने अधिकारों के लिए खड़ी होती है। 30 मई का फैसला पूरे देश के लिए महिलाओं की सुरक्षा और न्याय की उम्मीदों की कसौटी होगा।