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Monday, September 8, 2025
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Noise Pollution Effects on ears: क्या आपके भी कानों में सीटी बजती है? जानिए क्या है इसका कारण और इलाज

Noise Pollution Effects on ears: क्या आपने कभी अपने कान में सीटी जैसी आवाज सुनी है? अगर ऐसा है तो यह एक ऐसी बीमारी है, जिसका समय पर इलाज जरूरी है। नहीं तो आप भी बहरेपन के शिकार हो सकते हैं। कान में सीटी बजने का कारण टिनिटस रोग है जिसके कारण ध्वनि प्रदूषण होता है। इसको लेकर एक शोध भी सामने आया है। जिसमें कहा गया है कि ट्रैफिक का बढ़ता शोर कान में कई तरह की दिक्कत पैदा कर सकता है।

डेनमार्क यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के इस शोध के मुताबिक ट्रैफिक की तेज आवाज सुनने से लोगों को टिनिटस की बीमारी हो रही है। जिन लोगों का घर व्यस्त सड़कों के पास है उन्हें सबसे ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। टिनिटस के कारण कान में सीटी बजने जैसा महसूस होना। शोध में शामिल वैज्ञानिकों का कहना है कि टिनिटस की समस्या ट्रैफिक के तेज शोर के कारण हो रही है।

टिनिटस रोग क्या है?

ईएनटी, हेड एंड नेक सर्जन डॉ कृष्णा राजभर ने बताया कि इस तरह की रिसर्च पहले भी आती रही हैं और ये सही भी है. बढ़ते ध्वनि प्रदूषण के कारण कई लोगों को इस प्रकार की समस्या का सामना करना पड़ता है। इस समस्या को टिनिटस कहते हैं। टिनिटस का अर्थ है कान में किसी अन्य प्रकार की ध्वनि या प्रतिध्वनि का अनुभव होना। इसमें व्यक्ति को बार-बार कान में सीटी बजने जैसी आवाज सुनाई देती है।

डॉ. कृष्णा राजभर के मुताबिक इंसान 70 से 80 डेसिबल तक की आवाज सुन सकता है। इससे ज्यादा शोर कानों के लिए खतरनाक माना जाता है, लेकिन पिछले कुछ सालों में ध्वनि प्रदूषण बहुत बढ़ गया है। सड़कों पर लोग बेवजह हॉर्न बजाते हैं। इससे लोगों की परेशानी बढ़ जाती है। हॉर्न की तेज आवाज कानों की सुनने की क्षमता को भी प्रभावित कर सकती है। यहां तक कि लोग बहरेपन के शिकार भी हो सकते हैं। इससे हृदय रोग होने का भी काफी खतरा रहता है। जो लोग बहुत अधिक समय यात्रा में बिताते हैं उनमें टिनिटस होने का खतरा अधिक होता है। शहरी क्षेत्रों और भीड़-भाड़ वाले चौराहों के पास रहने वाले लोगों को भी इस प्रकार की कान की समस्या हो जाती है।

ये हैं बचाव के तरीके

डॉ. राजभर के मुताबिक, कैब ड्राइवर, डिलीवरी बॉय और जिन लोगों का घर सड़कों के पास है, उन्हें अपने कानों की नियमित जांच करवानी चाहिए। इसके लिए कई तरह के टेस्ट होते हैं। यह जांच हर छह महीने में एक बार जरूर करानी चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि ध्वनि प्रदूषण के कारण कानों की सुनने की क्षमता कम होने लगती है। अगर इस समस्या पर समय रहते ध्यान नहीं दिया गया तो बहरा होने का खतरा रहता है। इसलिए हाई रिस्क वालों की जांच जरूरी है।

इसके साथ ही यह भी जरूरी है कि हाई रिस्क वाले लोग ईयर मास्क पहनें। इससे कानों में तेज आवाज का खतरा नहीं रहेगा। अगर किसी व्यक्ति के कान में गूंज सुनाई दे रही है या सीटी बजने की आवाज आ रही है तो इस स्थिति में डॉक्टर्स से जरूर संपर्क करें। ऐसा न करने पर यह समस्या एक बड़ी समस्या भी बन सकती है।

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