Wedding Rituals: शादी विवाह जैसे मांगलिक कार्य शुरू हो चुके हैं ऐसे में शादी Wedding Rituals में होने वाली कई रस में मनाई जाती है जिसे लोग बेहद खुशी के साथ फॉलो करते हैं तो चलिए जानते हैं की शादी में मनाने वाली रस्मो के पीछे क्या मान्यता होती है अक्सर आपने देखा होगा कि शादी ब्याह के मौके पर सालियों अपने जीजा जी के जूते चुराती हैं तो वही हल्दी मेहंदी जैसे कई रस में होती है सभी का महत्व आज हम इस आर्टिकल में जानेंगे।
शादियों में क्यों मनाई जाती है रस्मे
हल्दी
दूल्हा और दुल्हन की शादी की शुरुआत हल्दी की रस्म से होती है। हल्दी और उबटन जैसे कार्यक्रमों में विवाहित महिलाओं को बुलाया जाता है। बहुत से लोग सोचते हैं कि हल्दी और उबटन लगाने से त्वचा में निखार आता है, इसलिए वे इस परंपरा का पालन करते हैं। लेकिन इसके पीछे मान्यता है कि शादी में जितने भी मेहमान आते हैं, उनमें से कइयों को इंफेक्शन हो सकता है। दूल्हा-दुल्हन संक्रमण से प्रभावित न हों, इसलिए उन्हें हल्दी और उबटन लगाया जाता है। इसका कारण यह है कि हल्दी एक एंटीबायोटिक के रूप में काम करती है।
मेहंदी
सभी महिलाएं लड़की को मेंहदी लगाती हैं, ऐसा माना जाता है कि मेंहदी जितनी गहरी होगी, भावी वैवाहिक जीवन उतना ही बेहतर होगा। एक और मान्यता है कि शादी के दौरान कई तरह के तनाव होते हैं, जिस दौरान मेहंदी लगाने से मन को शांति मिलती है।
क्यों देते है भात
दूल्हा व दुल्हन के मामा के घर से लोगों के लिए कुछ उपहार लाए जाते हैं, जिन्हें वह भेंट करते हैं। सबसे पहले कृष्णजी ने सुदामा की लड़की को भात दिया था, तभी से यह प्रथा चली आ रही है।
सात फेरों के वचन
विवाह की रस्मों में अग्नि के समक्ष वर-वधू को मिलाकर सात वचन लिए जाते हैं। पहले तीन फेरों में दुल्हन सामने होती है और अगले चार फेरों में दूल्हा आगे होता है। दूल्हा दुल्हन से सात वादे करता है, जबकि दुल्हन भी दूल्हे से सात वादे करती है। इसके बाद विवाह संस्कार का कार्यक्रम संपन्न होता है।
जूते चुराने की रस्म
जब दूल्हा मैरिज हॉल में आता है तो वह अपने जूते उतार देता है। वहीं दुल्हन की छोटी बहन ने जूते छुपा दिए। शादी की रस्म पूरी होने के बाद बहनें अपने देवर से नेग लेकर जूते वापस कर देती हैं। इस रस्म का कोई वैज्ञानिक कारण नहीं है, यह देवर-भाभी के मधुर और स्नेह भरे रिश्ते और भोग-विलास के लिए होती है। कहा जाता है कि यह प्रथा रामायण काल से चली आ रही है।
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