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Saturday, November 1, 2025
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    62 साल बाद मिला न्याय: Pilbhit के 2,196 शरणार्थी परिवारों को मिलेगा जमीन का मालिकाना हक

    Pilbhit refugee Bangladeshi refugee land: उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले में बसे हजारों शरणार्थी परिवारों को आखिरकार वह अधिकार मिलने जा रहा है, जिसका वे बीते छह दशकों से इंतजार कर रहे थे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बड़ा फैसला लेते हुए बांग्लादेश (पूर्वी पाकिस्तान) से विस्थापित होकर आए 2,196 हिंदू शरणार्थी परिवारों को भूमि का कानूनी स्वामित्व देने की प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश दिए हैं। यह फैसला इन परिवारों के लिए सिर्फ जमीन का अधिकार नहीं, बल्कि एक सम्मान और लंबे संघर्ष की मान्यता है।

    दरअसल, भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद विशेष रूप से 1960 से 1975 के बीच बड़ी संख्या में हिंदू परिवार पूर्वी पाकिस्तान से उत्पीड़न के चलते भारत आए थे। इनमें से हजारों लोगों को उत्तर प्रदेश के पीलीभीत, लखीमपुर खीरी, बिजनौर और रामपुर जैसे जिलों में बसाया गया था। प्रारंभ में इन्हें अस्थायी ट्रांजिट कैंपों में रखा गया और बाद में कुछ गांवों में आवास व खेती के लिए जमीन दी गई। लेकिन इन जमीनों पर उनका मालिकाना हक कभी वैधानिक रूप से मान्यता प्राप्त नहीं हुआ।

    पिछले 62 वर्षों से ये परिवार इन्हीं जमीनों पर रहकर खेती करते आ रहे हैं, मगर कानूनी दस्तावेजों के अभाव में न तो वे सरकारी योजनाओं का लाभ उठा सके, न ही उन्हें बैंकों या सरकारी संस्थानों से कोई मदद मिल सकी। अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस अन्याय को समाप्त करने की दिशा में ठोस कदम उठाया है। उन्होंने साफ कहा कि यह सिर्फ कागज देने का मसला नहीं है, बल्कि उन परिवारों को सम्मान लौटाने का प्रयास है, जिन्होंने देश के लिए सब कुछ छोड़ दिया और नई जिंदगी की शुरुआत की।

    Pilbhit के जिला प्रशासन ने इस फैसले को लागू करने की तैयारी कर ली है। जिलाधिकारी ज्ञानेंद्र सिंह के अनुसार, जैसे ही राज्य सरकार से अंतिम निर्देश मिलेंगे, बिना किसी देरी के दस्तावेज तैयार कर शरणार्थी परिवारों को सौंपे जाएंगे। अभी तक 2,196 में से 1,466 आवेदकों का सत्यापन पूरा कर लिया गया है और रिपोर्ट राज्य सरकार को भेज दी गई है।

    इस ऐतिहासिक कदम का राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर स्वागत हो रहा है। Pilbhit भाजपा जिला अध्यक्ष संजीव प्रताप सिंह, पूर्व जिला पंचायत Pilbhit सदस्य मंजीत सिंह और अन्य स्थानीय प्रतिनिधियों ने इसे शरणार्थियों की वर्षों की पीड़ा को पहचान देने वाला फैसला बताया है।

    जिन गांवों को इस फैसले से सीधा लाभ मिलेगा, उनमें कालीनगर और पूरनपुर तहसीलों के तातारगंज, बामनपुर, बैला, सिद्ध नगर, शास्त्री नगर और नेहरू नगर जैसे गांव शामिल हैं। सरकार का अगला लक्ष्य सभी पात्र परिवारों को जल्द से जल्द स्वामित्व प्रमाणपत्र देना है, जिससे उन्हें हर सरकारी सुविधा का लाभ मिले और वे सम्मानपूर्वक जीवन जी सकें।

    इस फैसले से यह उम्मीद जगी है कि देश के अन्य हिस्सों में बसे शरणार्थियों के मामलों में भी सरकार इसी तरह संवेदनशीलता दिखाएगी और वर्षों पुरानी उपेक्षा को दूर करने के प्रयास करेगी।

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