Report By: राहुल शर्मा
Lucknow (यूपी): बड़ी पुरानी कहावत है कि जब सैया भये कोतवाल तो डर काहे का ? पहले नोएडा में हुए जमीन घोटाले, फिर आय से अधिक संपत्ति मामले और अब लखनऊ में हुए स्मारक घोटाला मामले में ईडी के रडार पर आए सीनियर आईएएस अफसर को आखिर किसकी शह मिल रही है ये सवाल हर किसी के जेहन में है। वजह साफ है कि एक बार नहीं बल्कि लगातार नोटिस पर नोटिस भेजने के बावजूद मोहिंदर सिंह ईडी के सामने पूछताछ के लिए हाजिर जो नहीं हो रहे। सरकारी मशीनरी से लेकर सत्ता के गलियारों तक इस बात की चर्चा है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम करते योगी आदित्यनाथ के प्रयासों की राह में आखिर कौन है, जो रोड़ा बनकर मोहिंदर सिंह को इस नाफरमानी को करने की छूट दे या दिलवा रहा है ?
ये हैं मोहिन्दर सिंह
मोहिंदर सिंह उत्तर प्रदेश कैडर के 1978 बैच के भूतपूर्व आईएएस अधिकारी हैं। वह उत्त्र प्रदेश कैडर के आईएएस अधिकारी हैं. उन्होंेने 1977 में यूपीएससी परीक्षा पास की और 1978 बैच के आईएएस अधिकारी बने. वह 31 जुलाई 2012 में रिटायर हुए। रिटारमेंट से पहले मोनिंदर सिंह की गिनती उत्त र प्रदेश के ताकतवर अफसरों में की जाती थी. यूपी की ब्यूरोक्रेसी में सबसे ताकतवर अधिकारियों की लिस्ट में इनका नाम शुमार था। मायावती शासन में उनकी तू-ती बोलती थी। उन्होंने राज्य में मायावती के नेतृत्व वाली बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) सरकार के दौरान पांच साल की अवधि के लिए नोएडा-ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ के रूप में कार्य किया। लखनऊ में भी आवास आयुक्त के पद पर रहे।
आरोपी अफसरों की लिस्ट में भी टॉप पर
मोहिंदर सिंह का गिनती जहां किसी वक्त यूपी कैडर के नामचीन ब्यूरोक्रेट्स में होती थी, वहीं एक के बाद सामने आ रहे मामलों से वे अब घोटालों के आरोपी यूपी के अफसरों की सूची में भी ऊपर पहुंचते जा रहे हैं। हालाकि अभी तक यूपी कैडर के भ्रष्ट अफसरों की जो टॉपटेन सूची है उसमें वो काफी पीछे हैं।
यूपी कैडर के टॉप 3 भ्रष्ट आईएस
नीरा यादव
नीरा यादव उत्तर प्रदेश और एनसीआर में कई भूमि घोटालों में शामिल थीं। राजनेताओं और व्यापारियों को बड़ी रकम के बदले में पॉश इलाकों में जमीन के प्लॉट आवंटित करने के मामलों में शामिल रहीं। करीबी राजनीतिक संपर्क बनाए रखने के बावजूद उन्हें 2017 में सर्वोच्च न्यायालय ने भ्रष्टाचार और आय से अधिक संपत्ति रखने के लिए दोषी ठहराया और दो साल की जेल की सजा सुनाई।राकेश बहादुर
नोएडा में 4000 करोड़ रुपये के भूमि घोटाले में शामिल राकेश बहादुर को 2009 में निलंबित कर दिया गया था। इन आरोपों के बावजूद, राज्य सरकार में बदलाव के बाद उन्हें बहाल कर दिया गया और नोएडा विकास प्राधिकरण का अध्यक्ष नियुक्त किया गया।
राकेश कुमार जैन
आईएएस अधिकारी राकेश कुमार जैन को भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण 2010 में निलंबन और गिरफ्तारी का सामना करना पड़ा था। उन पर विशेष रूप से वाणिज्य विभाग के निदेशक के रूप में कार्य करते हुए कुल 7.5 करोड़ की रिश्वत लेने का आरोप लगा था। ये आरोप व्यक्तिगत लाभ के बदले में अवैध लेनदेन की सुविधा प्रदान करने में उनकी संलिप्तता से उत्पन्न हुए थे।