Lucknow bridge construction: लखनऊ की ट्रैफिक समस्या को कम करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया गया है। शहर के पुराने लाल पुल के समानांतर अब एक आधुनिक चार लेन पुल का निर्माण कार्य आरंभ हो चुका है। रविवार को क्षेत्रीय विधायक डॉ. नीरज बोरा ने भूमि पूजन कर इस Lucknow परियोजना का शुभारंभ किया। इस पुल के बन जाने से आसपास के क्षेत्रों—जैसे चौक, खदरा, मदेयगंज, फैजुल्लागंज, डालीगंज और त्रिवेणीनगर—की लगभग पांच लाख आबादी को जाम से राहत मिलने की उम्मीद है।
यह नया पुल गोमती नदी पर बने 111 साल पुराने ब्रिटिश कालीन पक्के पुल (लाल पुल) के साथ बनेगा। लाल पुल अब जर्जर हालत में है और उस पर भारी वाहनों की आवाजाही पर रोक लगा दी गई है, जिससे लोगों को खासी परेशानी हो रही थी। नए पुल का निर्माण लगभग 92 करोड़ रुपये की लागत से किया जा रहा है। इसकी लंबाई 180 मीटर और चौड़ाई 20 मीटर होगी। पुल के दोनों ओर पैदल यात्रियों के लिए फुटपाथ भी बनाए जाएंगे।
डॉ. बोरा ने जानकारी दी कि नया आर्च सेतु पूर्व निर्मित पुल की वास्तुकला की तर्ज पर ही तैयार किया जाएगा, जिससे ऐतिहासिकता भी बनी रहे और आधुनिकता भी जुड़ी रहे। निर्माण कार्य को जून 2027 तक पूरा किए जाने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए इंजीनियरिंग टीम की तैनाती की जा चुकी है जो गुणवत्तापूर्ण निर्माण सुनिश्चित करेगी।
इतिहास की बात करें तो गोमती नदी Lucknow पर पहला शाही पत्थर का पुल 1780 में नवाब आसिफुद्दौला के शासनकाल में बना था, जिसे पार करने पर टैक्स लिया जाता था। 1857 की क्रांति के बाद जब अंग्रेजों ने अवध पर नियंत्रण किया, तो उन्होंने पुराने पुल को कमजोर मानते हुए नया पुल बनवाने की योजना बनाई। इस योजना के तहत 1911 में निर्माण कार्य शुरू हुआ और 10 जनवरी 1914 को तत्कालीन वायसराय लॉर्ड हार्डिंग ने इसे जनता को समर्पित किया। इसीलिए इसे हार्डिंग ब्रिज भी कहा जाता है, जो अब लाल पुल या पक्का पुल के नाम से पहचाना जाता है।
अब उसी ऐतिहासिक Lucknow पुल के समानांतर एक नया पुल बनने जा रहा है, जो न सिर्फ विरासत को सम्मान देगा बल्कि लाखों लोगों की दैनिक यात्रा को भी आसान बनाएगा।