Mayawati News: मोदी सरकार ने संसद में यह स्पष्ट कर दिया है कि संविधान की प्रस्तावना से ‘सोशलिज्म’ और ‘सेक्युलरिज्म’ जैसे महत्वपूर्ण शब्दों को हटाने का कोई विचार नहीं किया जा रहा है। इस ऐलान को लेकर बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने संतोष जताया है और इसे देशवासियों के लिए राहत भरी खबर बताया है। उन्होंने कहा कि यह केंद्र सरकार की तरफ से संविधान की मूल भावना के सम्मान की दिशा में उठाया गया सही कदम है।
Mayawati ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर इस बयान को लेकर प्रतिक्रिया दी और लिखा कि संसद में कानून मंत्री ने जो बात कही, वह स्वागत योग्य है। उन्होंने कहा कि सरकार का यह रुख यह दर्शाता है कि उसे संविधान की धर्मनिरपेक्ष और समतामूलक नींव को लेकर कोई भ्रम नहीं है।
BSP सुप्रीमो ने इसे उन तमाम लोगों के लिए राहत की बात बताया जो संविधान के साथ किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ के खिलाफ हैं, विशेष रूप से बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर के अनुयायी जो वर्षों से संविधान की रक्षा में जुटे हैं। मायावती ने कहा कि देश की अनेकता में एकता की परंपरा ही इसकी सबसे बड़ी पहचान है और इस विविधता को संविधान में विशेष स्थान दिया गया है।
उन्होंने आगे कहा कि भारत दुनिया का ऐसा बड़ा देश है जहां अनेक धर्मों को मानने वाले लोग एक साथ रहते हैं—हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध, पारसी आदि सभी धर्मों के लोग बराबरी के हकदार हैं। संविधान में इन सभी को समान अधिकार, सम्मान और स्वतंत्रता देने का स्पष्ट प्रावधान है। यह बाबा साहेब की सोच का हिस्सा था कि सभी को समान अवसर और सम्मान मिले।
Mayawati ने केंद्र सरकार के इस रुख की तारीफ करते हुए कहा कि जब इस मुद्दे पर आशंकाएं बढ़ रही थीं, तब सरकार की ओर से समय पर स्थिति स्पष्ट करना जरूरी था। उन्होंने कहा कि सरकार का यह रुख देश में संविधान के मूल सिद्धांतों पर भरोसा करने वाले नागरिकों के लिए संतोषजनक है।
अंत में उन्होंने उम्मीद जताई कि केंद्र सरकार भविष्य में भी इसी नीति पर कायम रहेगी और संविधान के पवित्र उद्देश्यों की रक्षा करती रहेगी, जिससे लोकतंत्र की जड़ें और मजबूत होंगी।