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Thursday, September 25, 2025
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गुर्जर नेताओं संग खड़े दिखे चंद्रशेखर… क्या बदलने वाली है यूपी की राजनीति?

Meerut news: मेरठ से निकल रही खबर ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में नया मोड़ ला दिया है। आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और नगीना से सांसद चंद्रशेखर आजाद 25 सितंबर को Meerut पहुंचे, जहां उन्होंने चौधरी चरण सिंह जिला कारागार में बंद गुर्जर नेताओं से मुलाकात की। इनमें पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव एडवोकेट रविंद्र भाटी भी शामिल हैं। जेल परिसर में प्रवेश की अनुमति केवल पांच लोगों को दी गई, जिनमें चंद्रशेखर खुद मौजूद रहे।

इससे पहले 21 सितंबर को दौराला क्षेत्र के दादरी गांव में गुर्जर महापंचायत आयोजित की गई थी। पंचायत का उद्देश्य समाज के अधिकारों और राजनीतिक हिस्सेदारी पर चर्चा करना था। लेकिन बिना अनुमति के आयोजन होने पर पुलिस ने हस्तक्षेप किया, जिससे माहौल बिगड़ गया। भीड़ ने Meerut Meerutपुलिस पर पथराव किया, जिसमें एक उपनिरीक्षक और एक कांस्टेबल घायल हुए। पुलिस ने 22 लोगों को हिरासत में लिया, जिनमें से 17 को जेल भेजा गया। इन्हीं में से अधिकांश नेता चंद्रशेखर से मिलने जेल में बंद हैं।

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चंद्रशेखर ने मुलाकात के दौरान स्पष्ट संदेश दिया कि ये सभी लोग उनके परिवार का हिस्सा हैं और उनके लिए वे हर लड़ाई लड़ेंगे। उन्होंने गिरफ्तारियों को सरकार की मनमानी बताते हुए सोशल मीडिया पर भी बयान दिया कि लोकतांत्रिक आवाज दबाने का प्रयास किया जा रहा है। मुलाकात के बाद उन्होंने कहा कि वे गुर्जर समाज के साथ खड़े हैं और उनके हक की लड़ाई जारी रहेगी।

गुर्जर नेताओं की गिरफ्तारी से समाज में आक्रोश है। कई जिलों में विरोध प्रदर्शन की तैयारी हो रही है। राष्ट्रीय गुर्जर स्वाभिमान संघर्ष समिति ने 26 सितंबर को व्यापक आंदोलन की घोषणा की है। अमरोहा समेत अन्य जिलों में ज्ञापन देकर गुर्जर समाज ने गिरफ्तार नेताओं की रिहाई और मुकदमे वापस लेने की मांग रखी है।

राजनीतिक तौर पर यह मुलाकात अहम मानी जा रही है। नगीना लोकसभा क्षेत्र गुर्जर बहुल इलाका है और आगामी चुनावों को देखते हुए चंद्रशेखर इस कदम से समाज में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहते हैं। दिलचस्प बात यह भी है कि राज्य के ऊर्जा मंत्री डॉ. सोमेंद्र तोमर पहले ही जेल में बंद नेताओं से मिल चुके हैं, जिससे राजनीतिक समीकरण और दिलचस्प हो गए हैं।

Meerut की यह मुलाकात दलित और गुर्जर समुदाय के बीच उभरती एकजुटता का संकेत देती है, जो प्रदेश की राजनीति में बड़ा असर डाल सकती है।

 

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