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Monday, September 22, 2025
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Meerut में BJP नेत्री सरोजिनी अग्रवाल के मेडिकल कॉलेज पर CBI की छापेमारी: MBBS सीट घोटाले की जांच तेज

Meerut MBBS seat scam: उत्तर प्रदेश के मेरठ में मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी की नेत्री और पूर्व एमएलसी डॉ. सरोजिनी अग्रवाल के मेडिकल कॉलेज और आवास पर सीबीआई ने एक साथ छापेमारी की। यह कार्रवाई उनके खरखौदा स्थित एनसीआर मेडिकल कॉलेज और बेगमबाग स्थित आवास पर की गई। आरोप है कि कॉलेज में एमबीबीएस सीटों के आवंटन में गड़बड़ी हुई है, जिसकी शिकायत के बाद यह बड़ी जांच शुरू की गई है।

सूत्रों के अनुसार, सोमवार को मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) की टीम भी Meerut कॉलेज की जांच करने पहुंची थी। एमसीआई की टीम ने कई घंटों तक कॉलेज के रिकॉर्ड खंगाले और जरूरी दस्तावेज जांचे। अगले ही दिन सीबीआई टीम के आने से पूरे कॉलेज और प्रशासनिक हलकों में हड़कंप मच गया। सीबीआई ने कॉलेज और आवास से दस्तावेजों को खंगाला और डॉ. सरोजिनी, उनके परिजनों और स्टाफ से पूछताछ भी की।

डॉ. सरोजिनी अग्रवाल Meerut के एक प्रतिष्ठित राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखती हैं। उन्होंने 1995 में जिला पंचायत अध्यक्ष के रूप में राजनीति में कदम रखा था। वे समाजवादी पार्टी की सरकार में दो बार एमएलसी रही हैं और सपा नेताओं मुलायम सिंह यादव और आजम खान की करीबी मानी जाती थीं। वर्ष 2017 में उन्होंने समाजवादी पार्टी छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया और 2018 में फिर से एमएलसी निर्वाचित हुईं।

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उनके परिवार की शिक्षा क्षेत्र में भी मजबूत पकड़ है। मेरठ और नोएडा में उनके मेडिकल कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेज और स्कूल संचालित होते हैं। एनसीआर मेडिकल कॉलेज पहले ‘मुलायम सिंह यादव मेडिकल कॉलेज’ के नाम से जाना जाता था, जिसे भाजपा में आने के बाद बदला गया।

यह पहला मौका नहीं है जब अग्रवाल परिवार विवादों में घिरा हो। 2016 में उनके खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज हुआ था, जिसमें समाजवादी आवास योजना के तहत एक व्यक्ति से फ्लैट दिलाने के नाम पर लगभग 9.62 लाख रुपये लिए गए थे, लेकिन कब्जा नहीं दिया गया। लिसाड़ी गेट Meerut थाने में इस मामले की एफआईआर दर्ज हुई थी।

मंगलवार देर रात तक सीबीआई की टीम कॉलेज और आवास पर जांच करती रही। टीम जाते समय कई दस्तावेज, कपड़ों के थैले और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण अपने साथ ले गई। छापेमारी के दौरान मीडिया ने सरोजिनी अग्रवाल और उनके परिजनों से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन किसी ने जवाब नहीं दिया। फिलहाल यह मामला मेरठ में बड़ी राजनीतिक चर्चा का विषय बन गया है।

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