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Tuesday, September 16, 2025
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‘PDA Pathshaala’ को लेकर सियासी घमासान, कानपुर में सपा नेत्री पर केस, प्रशासन ने दिखाई सख्ती

PDA Pathshaala: उत्तर प्रदेश में प्राइमरी स्कूलों के मर्जर के खिलाफ समाजवादी पार्टी द्वारा चलाई जा रही ‘पीडीए पाठशाला’ अब विवादों की चपेट में आ गई है। भदोही के बाद अब कानपुर में भी इस पाठशाला को लेकर प्रशासन ने सख्त रुख अपनाया है। कानपुर के बिल्हौर क्षेत्र में सपा नेत्री रचना सिंह गौतम पर बिना अनुमति के बच्चों को स्कूल यूनिफॉर्म में बुलाकर पढ़ाने के आरोप में मुकदमा दर्ज किया गया है। प्रशासन का कहना है कि बच्चों को किसी राजनीतिक गतिविधि में शामिल नहीं होने दिया जाएगा। वहीं समाजवादी पार्टी का आरोप है कि सरकार शिक्षा के अधिकार का हनन कर रही है, इसलिए वे जनता के बीच जाकर खुद ‘पीडीए पाठशाला’ चलाने को मजबूर हैं।

कानपुर में बिना अनुमति चला कार्यक्रम, केस दर्ज

कानपुर के बिल्हौर इलाके में सपा नेत्री रचना सिंह ने स्थानीय प्राथमिक विद्यालय के बाहर ‘PDA Pathshaala’ नाम से बच्चों को पढ़ाने की गतिविधि चलाई। बच्चों को स्कूल की ड्रेस पहनाकर बुलाया गया, जिससे मामला गंभीर हो गया। प्रशासन की जांच में पाया गया कि इसके लिए कोई सरकारी अनुमति नहीं ली गई थी। इसके आधार पर रचना सिंह पर आईटी एक्ट की धारा 66 और अन्य धाराओं में मामला दर्ज किया गया।

प्रशासन की चेतावनी और सपा का जवाब

प्रशासन का कहना है कि बच्चों को राजनीतिक कार्यक्रमों का हिस्सा बनाना पूरी तरह से गलत है और इस पर सख्ती से रोक लगाई जाएगी। वहीं रचना सिंह और सपा का पक्ष है कि सरकार गांवों में स्कूलों को बंद करके शिक्षा को कमजोर कर रही है। पार्टी नेताओं का कहना है कि जब सरकार बच्चों से उनका स्कूल छीन रही है, तब विपक्ष का दायित्व है कि वे उनकी शिक्षा की जिम्मेदारी उठाएं।

भदोही में भी सामने आई थी यही स्थिति

भदोही में भी एक प्राथमिक विद्यालय को मर्ज कर दूसरे स्कूल में मिलाया गया था, जिसका विरोध करते हुए सपा नेता अंजनी सरोज ने ‘पीडीए पाठशाला’ चलाई थी। इस दौरान बच्चों से नारे लगवाए गए, जिसके चलते उनके खिलाफ भी केस दर्ज हुआ। नारे थे—”बंद करो मधुशाला, चालू करो पाठशाला”। प्रशासन ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी और आयोजन को भड़काऊ बताया।

राजनीतिक संग्राम के और तेज होने के आसार

अखिलेश यादव के निर्देश पर सपा कार्यकर्ता अब राज्यभर में ‘PDA Pathshaala’ का आयोजन कर रहे हैं। ऐसे में प्रशासन और समाजवादी पार्टी के बीच सीधा टकराव होता दिख रहा है। सरकार शिक्षा नीति को सुधार मान रही है, जबकि विपक्ष इसे जनविरोधी कदम करार दे रहा है। आगे और जिलों में ऐसे टकराव की संभावना प्रबल है।

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