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Sunday, July 27, 2025
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पैगामों से पैदा हुआ बवाल: सपा नेताओं के बयानों ने हिंदू समाज को झकझोरा

SP leaders controversy: उत्तर प्रदेश की राजनीति में उस वक्त नया मोड़ आया जब समाजवादी पार्टी (SP) के दो वरिष्ठ नेताओं—सांसद रामजी लाल सुमन और विधायक मोहम्मद रिजवी—ने सार्वजनिक मंचों से हिंदू धर्म और परंपराओं को लेकर ऐसे बयान दिए, जिनसे न केवल विवाद गहराया बल्कि आस्था पर चोट का आरोप भी लगा।

बलिया जिले में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान सपा विधायक मोहम्मद रिजवी ने कांवड़ यात्रा को लेकर कहा कि इसमें सिर्फ गांव के अनपढ़ और अंधविश्वासी लोग ही भाग लेते हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि कोई बड़ा अधिकारी, मंत्री, या उद्योगपति कभी कांवड़ नहीं उठाता। फूल बरसाने की परंपरा को उन्होंने अंधविश्वास बताया और कहा कि जागरूकता से ही इसका अंत होगा।

रिजवी के इस बयान पर तीव्र प्रतिक्रिया सामने आई। भाजपा नेताओं और हिंदू संगठनों ने इसे आस्था पर सीधा हमला बताया। प्रदेश सरकार के मंत्री दयाशंकर सिंह ने जवाब में कहा कि भगवान शिव के समय कोई विश्वविद्यालय नहीं था, फिर भी भक्ति थी। भक्ति शिक्षा से नहीं, भावना से होती है।

विवाद बढ़ता देख सपा के राष्ट्रीय सचिव अवलेश सिंह ने कहा कि यह रिजवी का व्यक्तिगत बयान है और इसका पार्टी से कोई लेना-देना नहीं है।

इसी बीच फिरोजाबाद में एक कार्यक्रम के दौरान SP राज्यसभा सांसद रामजी लाल सुमन ने धर्मांतरण के मुद्दे पर बात की। उन्होंने कहा कि जब तक हिंदू धर्म में समानता नहीं आएगी, तब तक धर्म परिवर्तन की घटनाएं होती रहेंगी। उन्होंने दलितों और पिछड़ों को मंदिरों में प्रवेश से वंचित किए जाने पर सवाल उठाया और आरोप लगाया कि जब तक भेदभाव रहेगा, तब तक धर्मांतरण रुकना मुश्किल है।

रामजी लाल ने महात्मा गांधी और स्वामी विवेकानंद के विचारों का उल्लेख करते हुए कहा कि इन दोनों महापुरुषों ने भी हिंदू धर्म के भीतर समानता की बात की थी। उन्होंने आरोप लगाया कि जब अखिलेश यादव ने मुख्यमंत्री आवास छोड़ा, तो नए मुख्यमंत्री ने उसे गंगाजल से धुलवाया—यह भेदभाव का उदाहरण है।

भाजपा ने इन बयानों को सपा की तुष्टिकरण राजनीति का हिस्सा बताया और कहा कि पार्टी बार-बार हिंदू समाज की भावनाओं से खेलती है।

समाज के कई वर्गों से यह मांग उठ रही है कि SP अपने नेताओं के बयानों पर सख्त रुख अपनाए या फिर स्पष्ट करे कि क्या यही पार्टी की सोच है। धर्म और राजनीति के इस टकराव में आस्था एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गई है।

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