Supreme Court stay on Waqf law: सुप्रीम कोर्ट में आज वक्फ संशोधन कानून 2025 को लेकर सुनवाई का दूसरा दिन है। बुधवार को करीब 70 मिनट तक चली बहस में कोर्ट ने स्पष्ट संकेत दिए कि वह इस कानून के कुछ विवादास्पद प्रावधानों पर रोक लगाने पर विचार कर सकता है। Supreme Court चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अगुआई वाली तीन जजों की पीठ ने विशेष रूप से “वक्फ बाय यूजर” की वैधता खत्म करने, कलेक्टरों को संपत्ति जांच का अधिकार देने और वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों को शामिल करने जैसे बिंदुओं पर गंभीर सवाल उठाए।
“वक्फ बाय यूजर” उस प्रथा को कहा जाता है जिसमें किसी संपत्ति को लंबे समय से धार्मिक कार्यों के लिए इस्तेमाल होते देखकर वक्फ माना जाता है, भले ही वह लिखित रूप में घोषित न हो। नए कानून में इस प्रावधान को समाप्त कर दिया गया है। इस पर Supreme Court ने चिंता जताई कि इससे वास्तविक धार्मिक संपत्तियों की मान्यता खत्म हो सकती है। कोर्ट ने कहा कि सभी के पास संपत्ति का रजिस्ट्रेशन या वक्फ डीड नहीं होता, इसलिए “वक्फ बाय यूजर” को पूरी तरह खत्म करना उचित नहीं होगा।
दूसरा बड़ा मुद्दा कलेक्टर को दी गई नई शक्ति को लेकर है। संशोधित कानून में कहा गया है कि जब तक कलेक्टर जांच कर रहे हों कि संपत्ति सरकारी है या नहीं, तब तक उसे वक्फ नहीं माना जाएगा। कोर्ट ने इसे अनुचित बताते हुए कहा कि इससे पहले से वक्फ घोषित संपत्तियों की स्थिति खतरे में पड़ सकती है।
तीसरा विवाद वक्फ परिषद में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने का है। कोर्ट ने सरकार से पूछा कि जब हिंदू धार्मिक बोर्डों में गैर-हिंदू सदस्य नहीं होते, तो फिर वक्फ परिषद में यह व्यवस्था क्यों लाई जा रही है। सरकार ने सफाई दी कि पदेन सदस्यों को छोड़कर अधिकतम दो गैर-मुस्लिम ही होंगे, लेकिन पीठ ने आपत्ति जताई कि नए प्रावधानों में मुस्लिम सदस्य अल्पसंख्यक रह सकते हैं, जिससे संस्था का धार्मिक स्वरूप प्रभावित होगा।
बुधवार को Supreme Court अंतरिम आदेश देने की स्थिति में थी, लेकिन सरकार ने और समय मांगा। अब आज सुप्रीम कोर्ट यह तय कर सकता है कि क्या इन विवादित प्रावधानों पर रोक लगेगी या सरकार को राहत मिलेगी।