UP banks unclaimed money: उत्तर प्रदेश के बैंकों में लंबे समय से निष्क्रिय पड़े खातों में 7200 करोड़ रुपये से अधिक की राशि फंसी हुई है। चूंकि इन खातों में पिछले दस वर्षों से कोई लेन-देन नहीं हुआ, इसलिए यह रकम नियमों के तहत रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के डिपॉजिटर एजुकेशन एंड अवेयरनेस फंड (DEAF) में स्थानांतरित कर दी गई है। अब बैंकों ने 30 सितंबर तक विशेष जागरूकता अभियान शुरू किया है ताकि वास्तविक हकदार इस धनराशि का दावा कर सकें।
लावारिस राशि की वजह
इस धनराशि के लावारिस बनने की बड़ी वजह खाताधारकों की मृत्यु और नामिनी का विवरण दर्ज न होना है। कई मामलों में परिवार वालों को खाते की जानकारी ही नहीं मिली, जिसके चलते पैसे सालों तक बैंक में निष्क्रिय पड़े रहे। आंकड़ों के अनुसार, प्रदेश के लगभग 2.81 करोड़ खातों में इस तरह की स्थिति सामने आई, जिन्हें अब RBI के पास सुरक्षित रखा गया है।
लोगों तक पहुंचाने की पहल
UP बैंकों ने ग्रामीण इलाकों से लेकर शहरों तक जागरूकता शिविर आयोजित करने शुरू कर दिए हैं। इन शिविरों में लोगों को निष्क्रिय खाते को सक्रिय करने, जरूरी दस्तावेज पूरे करने और दावा प्रक्रिया की जानकारी दी जा रही है। उद्देश्य यह है कि जिन खातों का कोई वारिस या वैध दावेदार है, उन्हें उनकी राशि बिना परेशानी मिल सके।
दावा करने की प्रक्रिया
यदि कोई व्यक्ति किसी निष्क्रिय खाते की रकम पाना चाहता है, तो उसे सबसे पहले संबंधित बैंक शाखा में आवेदन करना होगा। इसके साथ पहचान पत्र, नॉमिनी से जुड़ी जानकारी या वैध वारिस प्रमाणपत्र जैसे दस्तावेज जमा करने होंगे। बैंक दस्तावेजों की जांच कर KYC अपडेट करेगा और फिर RBI से अनुमति लेकर खाते को सक्रिय करेगा। इसके बाद वैध दावेदार के खाते में राशि ट्रांसफर कर दी जाएगी।
विशेषज्ञ मानते हैं कि यह पहल लाखों UP परिवारों को राहत देगी, क्योंकि कई लोगों की मेहनत की कमाई वर्षों से यूं ही पड़ी है। ऐसे में यदि किसी को अपने परिजन के पुराने खाते की जानकारी मिले तो तुरंत बैंक से संपर्क करना चाहिए।