DGP on Casteism in Police: समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव द्वारा पुलिस महकमे में जातिगत आधार पर पोस्टिंग के लगाए गए आरोपों पर उत्तर प्रदेश पुलिस ने सख्त प्रतिक्रिया दी है। प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) प्रशांत कुमार ने अखिलेश के दावों को पूरी तरह से निराधार और भ्रामक बताया है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की जानकारी फैलाना न केवल अफवाह है, बल्कि जिम्मेदार पदों पर बैठे व्यक्तियों के लिए यह शोभा नहीं देता।
DGP ने कहा कि पुलिस विभाग में नियुक्ति और पोस्टिंग की प्रक्रिया पूरी तरह से निष्पक्ष और तय मानकों पर आधारित होती है। उन्होंने स्पष्ट किया कि अगर कोई व्यक्ति सोशल मीडिया या अन्य माध्यमों से गलत जानकारी फैलाता है, तो पुलिस का यह कर्तव्य बनता है कि वह सही तथ्यों के साथ उसका खंडन करे। इसी क्रम में कई जिलों की पुलिस ने आंकड़ों के जरिए अखिलेश यादव के दावों को झूठा साबित किया है।
आगरा पुलिस ने बताया कि उनके यहां 39 प्रतिशत ओबीसी और 18 प्रतिशत एससी वर्ग के पुलिसकर्मी तैनात हैं, जबकि निर्धारित मानक के अनुसार ओबीसी के लिए 27 प्रतिशत का प्रावधान है। मैनपुरी में भी 31 प्रतिशत ओबीसी और 19 प्रतिशत एससी पुलिसकर्मी कार्यरत हैं। चित्रकूट जिले के 12 थानों में से तीन पर ओबीसी, दो पर एससी/एसटी और शेष सात पर अन्य वर्ग के थानाध्यक्ष नियुक्त हैं।
प्रयागराज पुलिस ने भी अखिलेश के दावे को नकारते हुए स्पष्ट किया कि थाना प्रभारियों की नियुक्ति उनकी कार्यक्षमता, निष्ठा और जनसेवा के प्रति संवेदनशीलता को ध्यान में रखकर की जाती है, न कि उनकी जाति देखकर। प्रयागराज में लगभग 40 प्रतिशत थाना प्रभारी ओबीसी और एससी/एसटी समुदाय से आते हैं।
DGP प्रशांत कुमार ने अंत में सभी नागरिकों से अपील की कि अफवाहों पर विश्वास न करें और बिना तथ्य के किसी पर आरोप न लगाएं। उन्होंने कहा कि पुलिस व्यवस्था को जातिवादी रंग देने का प्रयास दुर्भाग्यपूर्ण है और इससे जनता का भरोसा कमजोर हो सकता है। डीजीपी ने साफ किया कि अगर भविष्य में भी इस प्रकार की गलत सूचनाएं फैलाई जाती हैं तो पुलिस तत्परता से सच्चाई जनता के सामने लाएगी।