UP school merger: उत्तर प्रदेश में परिषदीय स्कूलों के विलय को लेकर सरकार को बड़ा झटका लगा है। लखनऊ हाईकोर्ट की खंडपीठ ने सीतापुर जिले में किए गए स्कूलों के विलय पर फिलहाल रोक लगाते हुए यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है। यह फैसला उन याचिकाओं के संदर्भ में आया है, जिनमें 7 जुलाई को एकल पीठ द्वारा दिए गए आदेश को चुनौती दी गई थी। उल्लेखनीय है कि एकल पीठ ने स्कूलों के विलय के खिलाफ दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया था।
याचिकाएं बच्चों के अभिभावकों की ओर से विशेष अपील के रूप में दाखिल की गई थीं। इनका मुख्य तर्क था कि UP सरकार ने 50 से कम छात्र संख्या वाले स्कूलों के साथ-साथ ऐसे विद्यालयों को भी बंद करने का निर्णय लिया जिनमें 50 से अधिक छात्र हैं। इससे बच्चों की शिक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका जताई गई। याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट को बताया कि यह निर्णय न केवल तर्कहीन है, बल्कि शिक्षा के अधिकार कानून की भावना के भी खिलाफ है।
बुधवार को सुनवाई के दौरान UP सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता ने पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि स्कूलों का विलय पूर्ण रूप से निर्धारित प्रावधानों और नीतियों के तहत किया गया है। साथ ही यह भी कहा गया कि खाली हुए स्कूल भवनों का उपयोग आंगनबाड़ी केंद्रों और बाल वाटिका के रूप में किया जाएगा, जिससे संसाधनों का बेहतर उपयोग सुनिश्चित हो सकेगा।
हालांकि कोर्ट ने सरकार की इन दलीलों को पर्याप्त नहीं माना और गुरुवार को भी सुनवाई जारी रखी। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि छात्रों की शिक्षा और सुविधा को प्राथमिकता मिलनी चाहिए और ऐसे किसी भी निर्णय को लागू करने से पहले गंभीर विचार और पारदर्शिता जरूरी है। न्यायालय ने फिलहाल सीतापुर में स्कूलों के विलय पर रोक लगाते हुए यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है।
इस निर्णय के बाद प्रदेश भर में अन्य जिलों में भी स्कूलों के विलय को लेकर आवाज़ें उठ सकती हैं। सरकार को अब अपने फैसले पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता पड़ सकती है, खासकर तब जब उसका उद्देश्य बुनियादी ढांचे का समुचित उपयोग करना हो, लेकिन छात्रों की शिक्षा को नुकसान पहुंचाए बिना। हाईकोर्ट के इस आदेश को छात्रों और उनके अभिभावकों के लिए एक बड़ी राहत के रूप में देखा जा रहा है।