UP teachers transfer 2025: उत्तर प्रदेश में बेसिक शिक्षा परिषद के शिक्षकों के लिए ट्रांसफर प्रक्रिया एक बार फिर विवादों में है। राज्य के 8 आकांक्षी जिलों में तैनात 21000 से अधिक शिक्षकों को इस साल भी तबादले का लाभ नहीं मिल पाया है। इन जिलों—सिद्धार्थनगर, बहराइच, बलरामपुर, चित्रकूट, चंदौली, श्रावस्ती, सोनभद्र और फतेहपुर—को सरकार ने विकास की दृष्टि से पिछड़ा मानते हुए “आकांक्षी जिला” घोषित किया है। इसका उद्देश्य इन क्षेत्रों की शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करना था, जिसके तहत 2018 में इन जिलों से शिक्षकों के ट्रांसफर पर रोक लगा दी गई थी।
सरकार की नीति के अनुसार इन जिलों से किसी UP teachers को तभी ट्रांसफर का अवसर मिलेगा, जब कोई अन्य जिले का शिक्षक वहां आने की इच्छा जताएगा। लेकिन असल समस्या यह है कि कोई भी शिक्षक इन जिलों में आने को तैयार नहीं है। यहां तक कि जो शिक्षक खुद इन जिलों से हैं और दूसरे जिलों में तैनात हैं, वे भी अपने गृह जिले में वापस नहीं आना चाहते। नतीजा यह है कि इन जिलों में पहले से कार्यरत शिक्षक वर्षों से एक ही जगह पर टिके हुए हैं और हर बार ट्रांसफर प्रक्रिया से बाहर रह जाते हैं।
बेसिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष सुधांशु मोहन के अनुसार, इन जिलों में शिक्षा की स्थिति बेहद कमजोर है और व्यापक सुधार की आवश्यकता है। अगर ट्रांसफर प्रक्रिया को बिना नए शिक्षकों की आमद के शुरू किया जाता है, तो यहां की शिक्षा व्यवस्था और भी अधिक चरमरा सकती है। इसलिए सरकार ने इन जिलों को विशेष श्रेणी में रखकर ट्रांसफर नीति को सीमित कर दिया है।
वहीं प्रशिक्षित स्नातक UP teachers संगठन के अध्यक्ष विनय सिंह का कहना है कि इन जिलों में लंबे समय से कार्यरत शिक्षकों को कम से कम एक बार ट्रांसफर का मौका मिलना चाहिए। कई शिक्षक ऐसे हैं जो 15-20 साल से एक ही जिले में कार्यरत हैं और अब मानसिक रूप से थक चुके हैं। उन्होंने कहा कि बार-बार सरकार से मांग करने के बावजूद केवल आश्वासन ही मिलता है, निर्णय नहीं।
इन जिलों के हजारों शिक्षकों का कहना है कि सरकार को ट्रांसफर नीति की पुनः समीक्षा करनी चाहिए और शिक्षकों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए लचीली व्यवस्था लागू करनी चाहिए, ताकि वर्षों से अटके हुए शिक्षक भी स्थानांतरण का लाभ ले सकें और नई ऊर्जा के साथ कार्य कर सकें।