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Monday, October 7, 2024
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रेलवे बोर्ड के पहले दलित CEO कौन है Satish Kumar?

Satish Kumar 1986 बैच के इंडियन रेलवे सर्विस ऑफ मैकेनिकल इंजीनियर्स (IRSME) अधिकारी हैं. उन्होंने मार्च 1988 में रेलवे ज्वाइन किया था. अपने 34 वर्षों के करियर में सतीश कुमार ने भारतीय रेलवे में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. 8 नवंबर 2022 को उन्होंने उत्तर मध्य रेलवे (प्रयागराज) के महाप्रबंधक के रूप में कार्यभार संभाला था.

इंडियन रेलवे सर्विस ऑफ मैकेनिकल इंजीनियर्स (IRMS) अधिकारी सतीश कुमार को रेलवे बोर्ड के नए अध्यक्ष और सीईओ की जिम्मेदारी मिली है. वह रेलवे बोर्ड के इतिहास में अध्यक्ष बनने वाले पहले दलित अधिकारी हैं.सतीश कुमार रेलवे बोर्ड की मौजूदा सीईओ जया वर्मा सिन्हा की जगह लेंगे. वह 31 अगस्त को रिटायर हो रही हैं. एक सरकारी आदेश में कहा गया कि कैबिनेट की नियुक्ति समिति (ACC) ने सतीश कुमार के नाम पर मुहर लगाई है. आदेश में बताया गया है कि उनकी नियुक्ति शीर्ष वेतनमान (7वें केंद्रीय वेतन आयोग के अनुसार वेतन स्तर 17) पर की गई है.

जानें कौन हैं सतीश कुमार

सतीश कुमार 1986 बैच के इंडियन रेलवे सर्विस ऑफ मैकेनिकल इंजीनियर्स (IRSME) अधिकारी हैं. उन्होंने मार्च 1988 में रेलवे ज्वाइन किया था.अपने 34 वर्षों के करियर में सतीश कुमार ने भारतीय रेलवे में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. 8 नवंबर 2022 को उन्होंने उत्तर मध्य रेलवे (प्रयागराज) के महाप्रबंधक के रूप में कार्यभार संभाला था.

उनके शैक्षणिक पृष्ठभूमि की बात करें तो सतीश कुमार ने मालवीय नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MNIT), जयपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंक में बीटेक किया है. इसके साथ उन्होंने इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी से ऑपरेशन मैनेजमेंट एवं साइबर लॉ में पीजी डिप्लोमा भी किया है.

1988 में ज्वाइन किया रेलवे

सतीश कुमार ने मार्च 1988 में भारतीय रेलवे में अपने करियर की शुरुआत की और तब से उन्होंने विभिन्न जोनों और डिवीजनों में कई महत्वपूर्ण भूमिकाओं में कार्य किया. रेलवे में हुए कई सुधारों के लिए उन्हें जाना जाता है.शुरुआत में उनकी नियुक्ति पूर्वी रेलवे के झांसी डिवीजन और वाराणसी में डीजल लोकोमोटिव वर्क्स (BLW) में हुई थी.

फॉग सेफ डिवाइस विकसित की

सतीश कुमार का एक महत्वपूर्ण योगदान उनके द्वारा विकसित किया गया फॉग सेफ डिवाइस है, जो धुंधली परिस्थितियों में सुरक्षित ट्रेन संचालन सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण साबित हुआ है. एक रेलवे अधिकारी ने कहा कि यह डिवाइस भारतीय रेलवे के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण बन गया है.विशेषकर उत्तरी भारत में ठंडे के महीनों में जब विजिबिलिटी कम हो जाती है तो उससे होने वाले जोखिम को इस डिवाइस ने बहुत हद तक कम कर दिया है.

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