Iqra Hasan का Deepfake वीडियो वायरल, बच्चों ने मांगी माफी

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Iqra Hasan

Iqra Hasan Deepfake Video: समाजवादी पार्टी की सांसद इकरा हसन चौधरी एक बड़ी साइबर साजिश का शिकार बन गई हैं। सोमवार देर रात सोशल मीडिया पर उनका एक Deepfake वीडियो तेजी से वायरल हो गया, जिसने सांसद समर्थकों और आम लोगों के बीच चिंता बढ़ा दी। यह वीडियो अत्याधुनिक एआई तकनीक से तैयार किया गया था, जिसे दो नाबालिग लड़कों ने एक फर्जी फेसबुक अकाउंट “Iqra Hasan चौधरी एमपी” के नाम से अपलोड किया था। वीडियो सामने आते ही सांसद समर्थकों में आक्रोश फैल गया और उन्होंने तुरंत इस मामले की शिकायत उत्तर प्रदेश पुलिस से की।

सांसद Iqra Hasan समर्थक इमरान नदवी ने एक्स (पहले ट्विटर) पर वायरल वीडियो की तस्वीरें शेयर करते हुए यूपी पुलिस और डीजीपी को टैग किया। इस शिकायत पर संज्ञान लेते हुए डीजीपी ने शामली पुलिस को निर्देश दिया कि इस मामले में तुरंत कार्रवाई की जाए। पुलिस अधीक्षक शामली, रामसेवक गौतम ने बताया कि साइबर सेल को जांच सौंपी गई है और जैसे ही आरोपियों की पहचान होगी, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

इस पूरे मामले में नया मोड़ तब आया, जब मेवात क्षेत्र की एक सरपंच ने पहल करते हुए दोनों नाबालिग लड़कों से माफी मंगवाई। उन्होंने माफीनामा वीडियो रिकॉर्ड कर सोशल मीडिया पर साझा किया, जिसमें बच्चों ने अपनी गलती स्वीकारते हुए कान पकड़कर माफी मांगी और भविष्य में ऐसी हरकत न करने का वादा किया। सरपंच ने भी पूरे मेवात क्षेत्र की तरफ से खेद व्यक्त किया और वायरल वीडियो हटवाने में मदद की।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, नूंह जिले के फिरोजपुर झिरका के गांव आमका के रहने वाले इन दोनों लड़कों ने एआई एप्लिकेशन की मदद से यह Deepfake वीडियो तैयार किया था। हालांकि, घटना के बाद उनके द्वारा माफी मांगने से मामला शांत होता दिख रहा है, लेकिन पुलिस अभी भी मामले की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए जांच जारी रखे हुए है।

यह घटना केवल एक मामला नहीं है। सोशल मीडिया पर इकरा हसन चौधरी के नाम से सैकड़ों फर्जी अकाउंट्स सक्रिय हैं, जिन पर लगातार एडिटेड तस्वीरें और भ्रामक वीडियो पोस्ट किए जाते हैं। कुछ समय पहले खुद सांसद ने फर्जी अकाउंट्स की एक सूची पुलिस को सौंपी थी, मगर अब तक प्रभावी कार्रवाई नहीं हो सकी है।

इस घटना ने एक बार फिर दिखा दिया है कि सोशल मीडिया पर फेक अकाउंट्स और एआई तकनीक का गलत इस्तेमाल कितना खतरनाक हो सकता है। अब साइबर सुरक्षा एजेंसियों और सोशल मीडिया कंपनियों को इस दिशा में ठोस कदम उठाने की जरूरत है।