Supreme Court vs High Court:13 जजों की चिट्ठी से मचा बवाल, न्यायपालिका में टकराव की आहट

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Supreme Court vs High Court: इलाहाबाद हाई कोर्ट और Supreme Court के बीच एक अहम फैसले को लेकर असहमति खुलकर सामने आ गई है। हाई कोर्ट के 13 जजों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर नाराजगी जताते हुए अपने मुख्य न्यायाधीश को एक औपचारिक चिट्ठी सौंपी है। इस चिट्ठी में सुप्रीम कोर्ट द्वारा जस्टिस प्रशांत कुमार के खिलाफ की गई टिप्पणी और उन्हें आपराधिक मामलों की सुनवाई से हटाए जाने के निर्देश पर आपत्ति जताई गई है। जजों ने मांग की है कि इस गंभीर मुद्दे पर फुल कोर्ट बैठक बुलाई जाए ताकि संस्थागत गरिमा और अधिकार क्षेत्र पर स्पष्ट चर्चा हो सके।

पूरा विवाद एक याचिका से जुड़ा है, जिसमें शिखर केमिकल्स नामक कंपनी ने अपने खिलाफ दर्ज आपराधिक केस को रद्द करने की गुहार लगाई थी। इस याचिका को सुनते हुए जस्टिस प्रशांत कुमार ने आपराधिक कार्यवाही की मंजूरी दी और शिकायतकर्ता को सिविल उपाय अपनाने का सुझाव दिया। सुप्रीम कोर्ट ने इस टिप्पणी को “अस्वीकार्य” ठहराते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस आदेश को रद्द कर दिया। कोर्ट की पीठ—जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन—ने यहां तक कह दिया कि इस तरह की टिप्पणी न्यायिक विवेक के खिलाफ है और इससे न्याय की प्रक्रिया प्रभावित होती है।

Supreme Court ने केवल आदेश रद्द नहीं किया, बल्कि यह भी निर्देश दिया कि जस्टिस प्रशांत कुमार को अब आपराधिक मामलों की सुनवाई से हटाकर किसी वरिष्ठ जज के साथ डिवीजन बेंच में बैठाया जाए। यही बिंदु इलाहाबाद हाई कोर्ट के जजों को खटक गया। उनका कहना है कि यह निर्देश सुप्रीम कोर्ट की प्रशासनिक सीमाओं से बाहर है और इससे हाई कोर्ट की स्वायत्तता पर चोट पहुंचती है।

हाई कोर्ट के जजों ने स्पष्ट किया है कि वे सुप्रीम कोर्ट के अधिकार का सम्मान करते हैं, लेकिन प्रशासनिक मामलों में सीधी दखलअंदाजी न्यायिक स्वतंत्रता के सिद्धांत के खिलाफ है। उनका मानना है कि अगर इस तरह के हस्तक्षेप की अनुमति दी गई, तो इससे न केवल हाई कोर्ट की गरिमा प्रभावित होगी, बल्कि पूरे देश की न्यायिक व्यवस्था में असंतुलन भी पैदा हो सकता है।

यह टकराव अब सिर्फ एक फैसले तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह न्यायपालिका के अंदर अधिकार, गरिमा और स्वतंत्रता की व्यापक बहस का विषय बन चुका है। आने वाले दिनों में यह मामला सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के संबंधों की नई दिशा तय कर सकता है।