Kanpur News: मेरे संसदीय क्षेत्र में सीएम ग्रिड योजना के तहत जब सड़क बनाने का शिलापट बना तो उसमें मेरा नाम अंकित क्यों नहीं किया गया। यह सवाल कानपुर-अकबरपुर लोकसभा सीट से सांसद देवेंद्र सिंह भोले ने कानपुर के नगर आयुक्त को पत्र लिखकर पूछा है। उन्होंने एक हफ्ते के भीतर नगर आयुक्त से इस संबंध में जवाब मांगा है। साथ ही यह भी कहा है कि वह संसदीय दफ्तर में जवाब भिजवाएं। वहीं कानपुर लोकसभा सीट से सांसद रमेष अवस्थी ने भी मैस्कर घाट के सुंदरीकरण के षिलापट पर नाम न होने पर आपत्ति जताई है।
सिर्फ विधानसभा अध्यक्ष व महापौर का नाम शिलापट्ट पर लिखा
चार दिसंबर को बर्रा बाईपास से कर्रही रोड पर सीएम ग्रिड योजना के तहत 61.51 करोड़ से 6.05 किमी तक बनाई जानी है। चार दिसंबर को विधानसभाध्यक्ष सतीश महाना और महापौर प्रमिला पांडेय ने संयुक्त रूप से शिलान्यास किया था। इस पर भोले ने नाराजगी जताई है। नगर आयुक्त को भेजे पत्र में यह भी लिखा है कि सीएम योगी आदित्यनाथ ने शहर के विकास कार्यों की समीक्षा के दौरान स्पष्ट निर्देश दिए थे कि मौखिक रूप- से सांसद, विधायक से राय ली जाए। इनकी अनुशंसा पर विकास कार्य हों। किन कारणों से मेरी सहभागिता की आवश्यकता की जरूरत क्यों नहीं समझी गई। सांसद होने की वजह से दायित्वों के निर्वहन हेतु इसे विशेषाधिकार समिति में ले जाऊंगा।
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रमेश अवस्थी ने पत्र लिखकर जताई आपत्ति
कानपुर संसदीय क्षेत्र में स्थित मैस्कर घाट के सुंदरीकरण कार्य के शिलान्यास शिलापट पर सांसद रमेश अवस्थी का नाम नहीं लिखा गया है। इस पर सांसद ने प्रदेश सरकार के पर्यटन और संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह को पत्र लिख कहा है। कि इस मसले को संज्ञान लेकर शिलापट में अंकित नाम में संशोधन कराएं। शिलापट पर मुख्मंत्री, पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह और मेरा नाम नहीं लिखा है। इसकी विभागीय जांच कराएं और दोष मिलने पर, जिम्मेदार अफसरों पर कार्रवाई करें। भविष्य में इसकी पुनरावृत्ति न हो। सांसद ने बताया कि पर्यटन मंत्री को पत्र लिख दिया है। विभागीय जांच की रिपोर्ट आने के बाद कुछ आगे का फैसला लेंगे। कहा कि हास्यास्पद बात है कि पूर्व विधायक रघुनंदन भदौरिया का नाम इसमें जोड़ दिया गया पर मेरा नाम नहीं है।
नगर आयुक्त सुधीर कुमार का कहना है कि वर्ष 2023 के शासनादेश में यह अंकित है कि नगर विकास अनुभाग से विकास कार्यों के लिए जो भी धनराशि जारी होगी उसके कार्यों के शिलान्यास या शुभारंभ पर मंत्री, विधायक और पार्षद को बुलाया जाएगा। उसमें सांसद का जिक्र नहीं है। अगर शासनादेश में कोई संशोधन होता है तो इसका पालन कराया जाएगा।
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