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Saturday, June 21, 2025
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रेलवे की सुरक्षा और सुविधाओं को मिलेगा बढ़ावा, बाराबंकी-छपरा रूट पर लगेगा ‘कवच’, मेमू-डेमू ट्रेनों में अब होंगे 12 कोच

Lucknow railway news: उत्तर प्रदेश में रेलवे यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा को लेकर बड़े स्तर पर काम शुरू हो गया है। पूर्वोत्तर रेलवे ने बाराबंकी से गोरखपुर होते हुए छपरा तक ‘कवच’ तकनीक लगाने की प्रक्रिया तेज कर दी है। करीब 438 किलोमीटर लंबे इस रूट पर कवच तकनीक के लिए रेलवे ने जरूरी टावर स्थापित करने हेतु टेंडर जारी कर दिया है। यह काम अगस्त या सितंबर 2025 से शुरू होने की संभावना है और दो साल के भीतर इस पूरे सेक्शन को कवच से लैस करने का लक्ष्य रखा गया है।

‘कवच’ एक स्वदेशी स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली है, जिसे रेलवे ने आरडीएसओ के सहयोग से विकसित किया है। इस तकनीक के जरिए ट्रेनों के बीच टक्कर की संभावनाओं को लगभग खत्म किया जा सकता है। जीपीएस और रेडियो फ्रीक्वेंसी आधारित इस सिस्टम की मदद से एक ही ट्रैक पर आगे-पीछे या आमने-सामने चलने वाली ट्रेनों को टक्कर से पहले ही ऑटोमेटिक ब्रेक लगाकर रोका जा सकता है। इतना ही नहीं, यदि कोई ट्रेन सिग्नल तोड़ने की कोशिश करती है, तो कवच अपने आप ब्रेक लगाकर उसे रोक देगा। इस तकनीक की खास बात यह है कि यह लोको पायलट की छोटी से छोटी गलती को भी पकड़ लेती है और तुरंत ऑडियो-वीडियो अलर्ट देती है।

इसके साथ ही Lucknow यात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए रेलवे बोर्ड ने मेनलाइन इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट (मेमू) और डीजल इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट (डेमू) ट्रेनों में कोच की संख्या बढ़ाने को मंजूरी दे दी है। वर्तमान में ये ट्रेनें 8 कोच की होती हैं, जिन्हें बढ़ाकर 12 कोच का किया जा रहा है। इससे खास तौर पर त्योहारों, गर्मियों की छुट्टियों और पीक समय में सफर करने वाले यात्रियों को बड़ी राहत मिलेगी।

पूर्वोत्तर रेलवे जोन Lucknow में इस समय करीब 30 मेमू-डेमू ट्रेनें संचालित हो रही हैं। इनमें हर कोच में 73 सीटें होती हैं, लेकिन खड़े होकर भी 60 से 70 यात्री यात्रा कर सकते हैं। डेमू ट्रेनें डीजल से चलती हैं और इनमें हर तीन कोच पर एक पावर कार होता है, जबकि मेमू ट्रेनें इलेक्ट्रिक होती हैं और लंबी दूरी तय करती हैं। इन कदमों से रेलवे नेटवर्क पहले से ज्यादा सुरक्षित और सक्षम बनेगा।

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