UP BJP survey: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2027 भले ही अभी दूर हों, लेकिन भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने अभी से ही अपने प्रत्याशी चयन की रणनीति पर काम शुरू कर दिया है। पार्टी इस बार टिकट वितरण में नया फॉर्मूला अपनाने जा रही है, जिसके तहत केवल राजनीतिक रिश्तों या जातीय समीकरणों को नहीं, बल्कि विधायक के कामकाज, छवि और जनता में लोकप्रियता को तरजीह दी जाएगी। इसके लिए पेशेवर एजेंसियों की मदद से गुप्त सर्वे कराया जाएगा।
सर्वे की शुरुआत और क्षेत्रवार रणनीति
सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी का आंतरिक सर्वे सबसे पहले पूर्वांचल और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में शुरू होगा। इसके बाद काशी, बृज और अवध क्षेत्रों की बारी आएगी। प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र के लिए अलग रिपोर्ट तैयार होगी, जिसमें विधायक की सक्रियता, जनता से जुड़ाव, विकास कार्यों का असर और क्षेत्रीय मुद्दों पर पकड़ का आंकलन किया जाएगा।
विधायकों की तीन श्रेणियां
सर्वे रिपोर्ट के आधार पर विधायकों को तीन श्रेणियों—ए, बी और सी में बांटा जाएगा।
- ए श्रेणी: बेहतर प्रदर्शन और मजबूत जनाधार वाले, जिनकी टिकट लगभग पक्की मानी जाएगी।
- बी श्रेणी: औसत प्रदर्शन करने वाले, लेकिन सुधार की संभावना वाले नेता।
- सी श्रेणी: कमजोर पकड़, नकारात्मक छवि और हार की आशंका वाले, जिनकी टिकट कटने की संभावना अधिक होगी।
टिकट का आधार: काम और छवि
UP BJP ने साफ कर दिया है कि इस बार टिकट केवल जातीय समीकरण या राजनीतिक नजदीकियों पर नहीं, बल्कि प्रदर्शन और छवि पर आधारित होगा। विधायक ने विकास निधि का कितना उपयोग किया, जनता की समस्याओं को सुलझाने में कितने सक्रिय रहे और पिछले चुनाव में जीत का अंतर कितना बड़ा था, इन सभी बिंदुओं पर विचार किया जाएगा। साथ ही विपक्षी दलों की ताकत और कमजोरियों का भी गहन विश्लेषण होगा।
संगठनात्मक पैनल और अंतिम फैसला
टिकट वितरण प्रक्रिया में संगठन की भूमिका भी अहम होगी। जिलाध्यक्ष, सांसद और प्रभारी मिलकर हर विधानसभा सीट पर तीन-तीन संभावित उम्मीदवारों का पैनल बनाएंगे। क्षेत्रीय अध्यक्ष भी अपनी सूची देंगे। इन नामों पर प्रदेश कोर कमेटी विचार करेगी और फिर अंतिम पैनल केंद्रीय नेतृत्व के सामने रखा जाएगा। राष्ट्रीय अध्यक्ष स्तर पर आए सर्वे, रिपोर्ट और राजनीतिक संतुलन को ध्यान में रखते हुए अंतिम प्रत्याशी तय होगा।
UP BJP का यह नया सर्वे-आधारित फॉर्मूला स्पष्ट करता है कि 2027 में टिकट का भविष्य केवल जनता की नजरों और संगठन की रिपोर्ट कार्ड पर टिका होगा। यानी जिनकी छवि और कामकाज मजबूत हैं, वही आगे बढ़ेंगे।