UP में नॉन-लेदर फुटवियर उद्योग को नई उड़ान, योगी सरकार की नीति से खुलेंगे 22 लाख रोजगार के द्वार

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UP footwear policy 2025: उत्तर प्रदेश अब केवल चमड़ा उद्योग तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि नॉन-लेदर फुटवियर निर्माण में भी पूरे देश का प्रमुख केंद्र बनने की ओर अग्रसर है। राज्य सरकार ने “उत्तर प्रदेश फुटवियर, लेदर और नॉन-लेदर क्षेत्र विकास नीति-2025” को मंजूरी देकर इस दिशा में बड़ा कदम उठाया है। इस नीति के लागू होने से अनुमान है कि राज्य में 22 लाख नए रोजगार उत्पन्न होंगे। वर्तमान में यह क्षेत्र 15 लाख से अधिक लोगों को रोजगार दे रहा है।

एमएसएमई मंत्री राकेश सचान ने बताया कि भारत विश्व में लेदर उत्पादों का दूसरा सबसे बड़ा निर्माता और उपभोक्ता है, और उत्तर प्रदेश की इसमें महत्त्वपूर्ण भूमिका है। आगरा को देश की फुटवियर राजधानी माना जाता है, जबकि कानपुर और उन्नाव में 200 से अधिक टेनरियां सक्रिय हैं। वर्ष 2023-24 में भारत से कुल 4.7 अरब डॉलर के लेदर व नॉन-लेदर उत्पादों का निर्यात हुआ था, जो अगले चार वर्षों में 8 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। UP में इस उद्योग का बाजार फिलहाल लगभग 350 करोड़ डॉलर का है।

नई नीति के तहत निवेशकों को आकर्षक प्रोत्साहन दिए जाएंगे। स्टांप ड्यूटी पर 100 प्रतिशत छूट, पांच वर्षों तक ईपीएफ का भुगतान सरकार द्वारा और तकनीकी कोर्सेज पर 30 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जाएगी। इसके अतिरिक्त, बिजली पर प्रति यूनिट ₹2 की छूट (अधिकतम ₹60 लाख), परिवहन और लॉजिस्टिक्स पर 75 प्रतिशत सब्सिडी (अधिकतम ₹10 करोड़) तथा अनुसंधान एवं विकास के लिए पेटेंट, कॉपीराइट आदि में ₹1 करोड़ तक की सहायता भी उपलब्ध होगी।

भूमि पर भी निवेशकों को बड़ी राहत दी गई है। एकल इकाई और मशीनरी यूनिट स्थापित करने वालों को पश्चिमांचल में 25 फीसदी और अन्य क्षेत्रों में 35 फीसदी की सब्सिडी मिलेगी। जबकि क्लस्टर और मेगा एंकर यूनिट्स के लिए पश्चिमांचल में 75 फीसदी और अन्य क्षेत्रों में 80 फीसदी की छूट दी जाएगी।

नीति के तहत न्यूनतम निवेश की भी शर्तें तय की गई हैं—एकल इकाई और मशीनरी निर्माण के लिए ₹50 से ₹150 करोड़, मेगा एंकर यूनिट के लिए ₹150 करोड़, क्लस्टर के लिए ₹200 करोड़ और कंपोनेंट यूनिट के लिए ₹150 करोड़।

इस UP नीति के जरिए UP सरकार का लक्ष्य है एक ऐसा इकोसिस्टम विकसित करना, जहां बड़े और छोटे सभी निवेशकों को समान अवसर और लाभ मिलें।