ट्रंप के टैरिफ से पूर्वांचल के निर्यात उद्योग में संकट, 50 लाख श्रमिक प्रभावित

11
UP

UP carpet export: अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय उत्पादों पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने के फैसले का असर उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल के निर्यात उद्योग पर दिखने लगा है। इस कदम के बाद कालीन, बनारसी सिल्क, जरदोज़ी, ब्रोकेड, वॉल हैंगिंग, मीनाकारी और अन्य हस्तशिल्प उत्पादों के हजारों करोड़ रुपये के ऑर्डर फिलहाल होल्ड पर हैं। भदोही, वाराणसी, मीरजापुर, नोएडा और आसपास के क्षेत्रों के 50 लाख से अधिक श्रमिक अब रोजगार संकट का सामना कर रहे हैं। उद्योग का कहना है कि अमेरिका में भारतीय उत्पाद महंगे होने से विदेशी खरीदार अब छूट की मांग कर रहे हैं, जिससे तैयार माल बंदरगाह और कारखानों में फंसा हुआ है।

पूर्वांचल के कालीन और सिल्क उद्योग अमेरिका पर अत्यधिक निर्भर हैं। भदोही से सोफा और कुशन कवर, ब्रोकेड, पंजा दरी, जरी-जरदोज़ी और वाराणसी से बनारसी सिल्क तथा हैंडीक्राफ्ट अमेरिका में बड़े पैमाने पर निर्यात होते हैं। 25 प्रतिशत टैरिफ के कारण लगभग 1,000 करोड़ रुपये के ऑर्डर फिलहाल रुके हुए हैं। यदि टैरिफ बढ़ता है, तो निर्यातकों को और बड़े नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। टेक्सटाइल उद्योग के अनुसार, यह कदम लाखों श्रमिकों और उनके परिवारों की रोज़ी-रोटी पर सीधा असर डाल सकता है।

भारतीय कालीन निर्माता संघ के अनुसार, भदोही में लगभग 80 प्रतिशत परिवार कालीन उद्योग से जुड़े हैं। उत्पादन प्रक्रिया में 20 चरण शामिल हैं, जिनमें कताई, रंगाई, काती बुनाई, पेंचाई, सफाई और धुलाई जैसे काम आते हैं। इनमें अधिकतर महिलाएं घर बैठे काम करती हैं। टैरिफ के कारण यदि ऑर्डर रुकते हैं, तो तैयार माल कारखानों में फंसा रहेगा और लाखों श्रमिक बेरोजगार हो सकते हैं।

अमेरिकी टैरिफ से बनारस का बनारसी ब्रोकेड, सिल्क फैब्रिक और अन्य हस्तशिल्प महंगे हो जाएंगे। इससे बांग्लादेश, वियतनाम और अन्य प्रतिस्पर्धी देशों को अमेरिकी बाजार में सस्ते विकल्प मिलेंगे, जिससे बनारस के कारोबारियों को बड़ा झटका लग सकता है। टेक्सटाइल, जेम्स एंड ज्वैलरी, लेदर और हस्तशिल्प उद्योग इससे सबसे अधिक प्रभावित होंगे।

ट्रांसपोर्ट सेक्टर पर भी असर पड़ा है। भदोही-मीरजापुर का ट्रांसपोर्ट कारोबार सालाना लगभग 100 करोड़ रुपये का है। पहले प्रतिदिन 20 ट्रक माल मुंबई पोर्ट के लिए भेजते थे, लेकिन अब ऑर्डर होल्ड होने से ट्रक खड़े हैं, जिससे ट्रांसपोर्टर परेशान हैं।

यदि सरकार जल्द राहत नहीं देती, तो पूर्वांचल के लाखों श्रमिक और उनके परिवार इस संकट का सामना करने के लिए मजबूर होंगे। उद्योग विशेषज्ञों और निर्यातकों का कहना है कि इस स्थिति में तुरंत हस्तक्षेप आवश्यक है, नहीं तो क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था पर गंभीर असर पड़ सकता है।