स्क्रीन से निकलने वाली ब्लू लाइट से युवा हो रहे शिकार
नेत्र रोग विभाग में प्रो. डॉ.परवेज खान के मुताबिक मोबाइल, लैपटॉप व कंप्यूटर से निकलने वाली ब्लू लाइट के कारण युवा तेजी से इस समस्या के शिकार हो रहे हैं। अंधेरे में मोबाइल चलाने का सबसे ज्यादा बुरा असर रेटिना पर पड़ता है। अंधेरे में कई घंटों तक मोबाइल चलाने से एक समय के बाद दिखना बंद हो जाता है। अगर रेटिना खराब हो जाए तो आंखों की रोशनी जा सकती है। इस बीमारी में मैक्यूल (रेटिना के बीच के भाग में) असामान्य ब्लड वैसेल्स बनने लगते हैं, जिससे केंद्रीय दृष्टि प्रभावित होती है। मैक्यूला के क्षतिग्रस्त होने पर इसे दोबारा ठीक करना मुमकिन नहीं है। लेकिन आंख के पर्दे की लाइलाज बीमारी मैक्युलर डिजनरेशन के इलाज में स्टेम सेल से सफलता मिली है।
संभल हिंसा के उपद्रवियों और पत्थरबाजों की अब खैर नहीं! योगी सरकार ने कर ली ये बड़ी तैयारी
आंख में स्टेम सेल डालने से मिल रही निजात
मैक्युलर डिजनरेशन बीमारी का इलाज अभी तक मेडिकल कॉलेज में नहीं था। इसके इलाज में स्टेम सेल से लोगों को राहत मिली है। दो साल से टीम इस शोध में लगी थी। स्टेम सेल से आंख के पर्दे की कोशिकाएं स्वस्थ होने लगीं। आंख में स्टेम सेल डालने के छह माह के अंदर स्थिति में बदलाव देखने को मिला है।
ऐसे रख सकते हैं अपनी आंखों को स्वस्थ
- मोबाइल चलाते समय पलकों को जरूर झपकाएं।
- आंखों में ड्राईनेस की समस्या न होने दें।
- आंखों के एकदम पास रखकर मोबाइल न चलाएं।
- मोबाइल चलाते समय ब्लू लाइट का संपर्क रोकने वाला चश्मा पहनें
- रात में मोबाइल का इस्तेमाल लाइट चालू करके ही करें।
- कंप्यूटर व लैपटॉप पर काम करने पर आंखें थोड़ी में जरूर धोएं।
कोल्ड स्टोरेज के अंदर गोमांस मिलने के बाद पुलिस कमिश्नर का बड़ा एक्शन, दादरी के SHO हुए सस्पेंड