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Sunday, May 18, 2025
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मोदी सरकार बनाम सुप्रीम कोर्ट: वक्फ कानून और पॉकेट वीटो पर बढ़ा टकराव, निशिकांत दुबे का तीखा वार

Court vs Govt: वक्फ संशोधन कानून और पॉकेट वीटो के मुद्दों पर केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट के बीच टकराव की स्थिति बन गई है। सरकार ने जहां अदालत के विधायी मामलों में हस्तक्षेप पर नाराजगी जताई है, वहीं सुप्रीम कोर्ट ने संवैधानिक सीमाओं की सख्ती से व्याख्या की है। इस बहस को और तेज कर दिया बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे के बयान ने, जिन्होंने कहा कि अगर कानून सुप्रीम कोर्ट ही बनाएगा तो संसद भवन को बंद कर देना चाहिए।

गोड्डा से सांसद निशिकांत दुबे ने सोशल मीडिया पर यह बयान (Court vs Govt) पोस्ट करते हुए सुप्रीम कोर्ट पर सवाल खड़े किए। इससे पहले कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने भी कहा था कि न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच संतुलन जरूरी है और कोर्ट को विधायी प्रक्रियाओं में दखल नहीं देना चाहिए। उनका मानना है कि अगर सरकार न्यायपालिका के काम में हस्तक्षेप करने लगे तो वह भी उचित नहीं होगा।

वहीं, वक्फ पर बनी संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पूर्व अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने अदालत के फैसले से पहले ही दावा कर दिया कि अगर कानून में कोई भी त्रुटि पाई गई तो वे अपने सांसद पद से इस्तीफा दे देंगे। इससे स्पष्ट होता है कि इस कानून को लेकर राजनीतिक हलकों में कितना आत्मविश्वास और दबाव दोनों मौजूद हैं।

उधर, पॉकेट वीटो के मामले में भी (Court vs Govt) सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा है कि राज्यपाल को विधानसभा से पारित विधेयकों पर तीन महीने के भीतर निर्णय देना होगा। राज्यपाल द्वारा विधेयकों को अनिश्चित काल तक रोकना अब स्वीकार्य नहीं है। इस पर केंद्र सरकार ने असहमति जताते हुए कहा है कि यह फैसला राज्यपाल की संवैधानिक भूमिका को सीमित करता है।

केंद्र अब इस फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल करने की तैयारी कर रही है। सरकार का मानना है कि कोर्ट का यह फैसला ‘पॉकेट वीटो’ जैसी प्रक्रियाओं की मौलिकता पर असर डाल सकता है और विधायी प्रक्रियाओं में न्यायिक दखल का उदाहरण बन सकता है।

इस पूरे घटनाक्रम ने संसद और सुप्रीम कोर्ट के बीच अधिकारों की परिभाषा और सीमा को लेकर गहन बहस को जन्म दे दिया है।

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