बीजेपी नेता शिक्षण संस्थान के नाम पर ली ज़मीन पर खड़ा किया कमर्शियल कॉम्लैक्स
मोहसिन खान/अतुल शर्मा
मेरठ। सीएम योगी भ्रष्टाचार के खिलाफ़ जीरो टॉरलेंस की बात करते हैं। शिक्षा व्यवस्था को दुरूस्त करने के लिए पीएम मोदी और सीएम योगी दोनों दिग्गज संजीदा हैं। लेकिन उनकी इस मुहिम को उन्हीं की पार्टी के नेता पलीता लगाने में शिद्दत से जुटे हैं।
आलम ये कि सत्ता के संरक्षण में जमीनों को हथियाने, उन पर अवैध निर्माण करने वाले खूब फल-फूल रहे हैं। मेरठ में भाजपा किसान मोर्चा के ज़िला महामंत्री विक्रांत अहलावत ऐसे ही सत्ता से जुड़े सफेदपोशों में से एक हैं। साहब ने शिक्षा संस्थान के नाम पर करोड़ों की बेशकीमती ज़मीन को पहले तो कौडियों के भाव खरीदा, फिर उस भूखंड पर स्कूल बनाने के बजाए दो मंज़िला अवैध कमर्शियल कॉम्पलैक्स बनाना शुरू कर दिया। लेकिन विक्रांत के रसूख और उसे पश्चिम उत्तर प्रदेश के बड़े भाजपा नेताओं से मिले संरक्षण के आगे मेरठ विकास प्राधिकरण के अधिकारी नतमस्तक हो गए।
कार्रवाई के नाम पर दौड़ाए ‘‘कागज़ी घोड़े’’
हालाकि इस मामले में मेरठ विकास प्राधिकरण की तरफ से दो बार एफआईआर दर्ज कराई गई है। नक्शें के विपरीत बने कॉम्पलैक्स को लेकर पुलिस की ओर से भी मुकद्मा दर्ज कराया गया। एमडीए ने एक बार कॉम्पलैक्स को सील करने की खानापूर्ति भी की। लेकिन विक्रांत चौधरी ने वेस्ट यूपी मे बैठे अपने आकाओं से संपर्क किया और फिर एमडीए अधिकारियों के पास फोन घनघनाने शुरू हो गए।
कार्रवाई के नाम पर कागजी घोड़े तो सरपट दौड़े मगर, विक्रांत अहलावत ने प्राधिकरण की लगाई सील तोड़कर दोबारा से निर्माण कराना शुरू कर दिया। उधर, प्राधिकरण ने नोटिस पर नोटिस जारी करके कागजों से फाइलों का पेट भरता रहा, वहीं बेसमेंट में नक्शे के विपरीत शॉपिंग काम्पलैक्स का निर्माण हो गया, जबकि वहां पार्किग होनी चाहिए थी। लेकिन सत्ता के संरक्षण में मेरठ विकास प्राधिकरण के अधिकारी भी रियल स्टेट के बड़े नाम बन चुके विक्रांत अहलावत के सामने नतमस्तक हो गए।
योगीराज आते ही शुरू कर दिया अवैध निर्माण
भाजपा किसान मोर्चा के जिला महामंत्री विक्रांत अहलावत ने अगस्त 2014 में मेरठ विकास प्राधिकरण द्वारा पल्लवपुरम आवासीय योजना के तहत नीलामी में निकाले गए 978 वर्ग मीटर के शैक्षिक भूखंड के पड़े टेंडर में सजल शिक्षण संस्थान के नाम से बोली लगाई थी। बता दें कि 28 अगस्त 2014 में न्यूनतम रेट 11000 प्रति वर्ग मीटर की तुलना में 11,150 प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से सबसे ज्यादा बोली सजल शिक्षण संस्थान ने लगाई।
जिसके बाद 9 सितंबर 2014 में सजल शिक्षण संस्थान को शैक्षिक भूखंड आवंटित कर दिया गया। 2017 तक कोई निर्माण नहीं हुआ, लेकिन जैसे ही प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी, विक्रांत ने शैक्षिक भूखंड पर अवैध रूप से कमर्शियल कॉम्पलैक्स बनाना शुरू कर दिया। महज़ दो साल के भीतर 2019 तक काम्पलैक्स को खड़ा हो गया। एक लाख रूपए प्रति वर्ग मीटर के रेट वाली जमीन को कौडिय़ों के भाव में विक्रांत ने हथिया लिया और नियम-कानूनों को ताक पर रखकर स्कूल प्रोजेक्ट को डिब्बे में बंद कर दिया। बड़े-बड़े नेताओं से खुद के संबध बताने वाले विक्रांत ने 30 से 40 लाख रूपए में दुकानों को बेच दिया और उससे कमाए पैसे से बगल में ही एक और अवैध निर्माण करना शुरू कर दिया।
एमडीए ने कौड़ियों में बेची बेशकीमती ज़मीन
शैक्षिक भूखंड की कीमत 1 करोड़ 9 लाख 4 हज़ार सात सौ रूपए थी। 25 प्रतिशत रकम आवंटन के वक्त जमा करने के बाद 75 फीसदी पैसे को पांच आसान किश्तों में सजल शिक्षण संस्थान ने जमा किया। एमडीए ने जिस जमीन को 11,150 प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से बेचा था, उस जमीन की वास्तविक कीमत उससे कई गुना ज्यादा थी, लेकिन मेरठ विकास प्राधिकरण के अधिकारियों ने तमाम नियम और कानूनों को ताक पर रख दिया और रियायती दरों पर बेच दिया। एमडीए के अधिकारियों ने भी जमीन के बंदरबांट में खूब कमाया।
मेरठ में विक्रांत ने कर रखा है अपना ‘‘भौकाल टाइट’’
करप्शन का कॉम्पलैक्स खड़ा करने वाला विक्रांत अहलावत मेरठ और उसके आसपास के एरिया में अपना भौकाल टाइट रखता है। उसकी फेसबुक प्रोफाइल से उसका रसूख साफ झलकता है। कोई भी ऐसा भाजपा का बड़ा नेता नहीं है, जो उसके संपर्क में ना हो। बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, पूर्व केन्द्रीय मंत्री डा. संजीव बालियान, एमएलसी अश्वनी त्यागी, पूर्व क्षेत्रीय अध्यक्ष मोहित बेनीवाल, मंत्री स्वतंत्र देव सिंह, विधायक धर्मेन्द्र भारद्वाज, जिलाध्यक्ष शिवकुमार राणा समेत तमाम भाजपा नेताओं के साथ उसकी फोटो उसके रसूख को साफ दर्शाती हैं।