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Monday, January 13, 2025
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Jyoti Hatya kand: हाईकोर्ट ने पति समेत पांच की आजीवन कारावास की सजा रखी बरकरार, प्रेमिका इस कारण हुई बरी

Jyoti Hatya kand: कानपुर से एक बढ़ी खबर सामने आई है। बताया जा रहा है कि 10 साल पहले हुए ज्योति हत्याकांड में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट द्वारा मृतका के पति पीयूष श्यामदासानी और चार अन्य आरोपियों को सुनाई गई आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा है। कोर्ट ने इन पांचों की सजा के खिलाफ दायर अपील को खारिज कर दिया। हालांकि, पीयूष की कथित प्रेमिका मनीषा मखीजा को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया गया है।

जानें पूरा मामला

कानपुर की सत्र अदालत ने 20 अक्टूबर 2022 को हत्या के आरोप में बिस्कुट कारोबारी पति पीयूष श्यामदासानी, सोनू कश्यप, रेनू उर्फ अखिलेश कनौजिया, आशीष कश्यप, अवधेश चतुर्वेदी और मनीष मखीजा को आजीवन कारावास और जुर्माने की सजा सुनाई थी। सभी ने आजीवन कारावास की सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दाखिल की थी।

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मनीषा के खिलाफ नहीं मिले पुख्ता सबूत

पीयूष की कथित प्रेमिका मनीषा मखीजा को हाइकोर्ट ने संदेह के आधार पर बरी कर दिया। कोर्ट ने कहा कि सत्र अदालत ने मनीषा के मामले में कई महत्वपूर्ण बिंदुओं को नजरअंदाज करते हुए महज आशंका के आधार पर सजा सुनाई है जो गलत है। मनीषा के इस षड्यंत्र में शामिल होने के पुख्ता सबूत नहीं हैं। अभियोजन यह साबित करने में असफल रहा कि मनीषा को ज्योति की हत्या के षड्यंत्र और पीयूष के इरादे की जानकारी पहले से थी। सिर्फ आशंका और संभावना के आधार पर साक्ष्य की चेन पूरी नहीं होती है। इसलिए मनीषा संदेह का लाभ पाने की हकदार है। मनीषा पहले से जमानत पर है इसलिए कोर्ट ने उसके बेल बॉन्ड निरस्त करने का निर्देश दिया है।

27 जुलाई 2014 को ज्योति के पति पीयूष ने ही दर्ज कराई थी FIR 

अपनी पत्नी ज्योति की हत्या की साजिश रचने वाले पीयूष श्यामदासानी ने ही इस हत्याकांड की FIR दर्ज कराई थी। तब शायद उसे यह नहीं पता था कि अपने बनाए जाल में वह खुद फंसने वाला है। 27 जुलाई 2014 को पीयूष ने कानपुर के स्वरूप नगर थाने में FIR दर्ज कराई कि वह अपनी पत्नी के साथ रात करीब 11:30 बजे एक रेस्टोरेंट से खाना खाने के बाद घर लौट रहा था। तभी सात-आठ लोग बाइक से आए और उसकी कार में टक्कर मारकर उसे रोक लिया। उन लोगों ने उसे कार से बाहर खींच कर पीटा और ज्योति का कार सहित अपहरण करके ले गए। पुलिस ने प्रारंभिक जांच में ज्योति के मोबाइल फोन की लोकेशन के आधार पर कुछ घंटे के भीतर ही उसे खोज लिया।

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पीयूष ने कुबुल की हत्या की बात

ज्योति कार में मरने की अवस्था में मिली। उसे अस्पताल ले जाया गया। जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। पुलिस ने जब जांच शुरू की तो सारे साक्ष्य पीयूष के ही इस घटना में शामिल होने की तरफ इशारा करने लगे। पुलिस ने जब उसे गिरफ्तार कर पूछताछ की तो उसने अपना अपराध कबूल कर लिया और बताया कि उसने ही ज्योति की हत्या करवाई है। पीयूष ने ज्योति की हत्या के लिए सोनू कश्यप, रेनू उर्फ अखिलेश कनौजिया, अवधेश चतुर्वेदी और आशीष कश्यप की मदद ली थी।

पुलिस ने हत्या में प्रयुक्त हथियार भी किए बरामद

पीयूष के इस खुलासे के बाद पुलिस ने अन्य अभियुक्तों को भी गिरफ्तार कर लिया और उनकी निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त हथियार, खून से सने कपड़े आदि बरामद कर लिए थे। साक्ष्य की सभी कड़ियों को जोड़ने के लिए पुलिस को काफी मेहनत करनी पड़ी। फोरेंसिक एक्सपर्ट की मदद से यह साबित किया गया कि जो हथियार और कपड़े बरामद हुए हैं वह ज्योति के ही खून से सने हुए थे। मोबाइल कॉल डिटेल और ज्योति के परिवार वालों के बयान से यह साबित हुआ की पीयूष और ज्योति के बीच रिश्ते अच्छे नहीं थे। पीयूष का अपने पड़ोस में रहने वाली मनीष मखीजा से प्रेम संबंध था। जिससे शादी करने के लिए उसने ज्योति को रास्ते से हटाने का फैसला लिया और घटना को अंजाम दिया।

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37 गवाहों ने गवाही देकर दिलाई सजा

अभियोजन की ओर से इस मामले में कुल 37 गवाह प्रस्तुत किए गए। जिनमें से आठ गवाह ज्योति के परिजन और रिश्तेदार थे। जबकि 22 पुलिस के औपचारिक गवाह थे। जो विवेचना में शामिल रहे। इसके अलावा साक्ष्यों को साबित करने के लिए फॉरेंसिक विशेषज्ञों की भी गवाही कराई गई जिससे कि यह साबित हो सका की ज्योति की हत्या उसके पति पीयूष ने ही करवाई थी।

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