Sanjeev Baliyan: मुजफ्फरनगर में मंसूरपुर डिस्टलरी और विवादित मंदिर को लेकर शुरू हुआ विवाद और गहराता जा रहा है, इसपर सियासी बयानबाजी लगातार हो रही है। पूर्व केंद्रीय मंत्री संजीव बालियन और पुलिस के बीच हुए विवाद के बाद अब मुजफ्फरनगर का सियासी पारा सातवें आसमान पर है बालियान के समर्थकों ने 19 जनवरी को महापंचायत का ऐलान किया है। पूर्व मंत्री संजीव बालियन ने पुलिस पर करप्शन के गंभीर आरोप लगाते हुए डिस्टलरी को जबरन जमीन कब्जा करवाने का पुलिस पर आरोप लगाया है जबकि समर्थक पुलिस पर मंदिर विरोधी होने का आरोप लगा रहे हैं, जबकि हकीकत इससे पूरी तरह अलग है। कोर्ट का आदेश ये बताने के लिए काफी है कि कैसे एक विवादित मंदिर की आड़ पर राजनीति चमकाई जा रही है।
सिविल जज के आदेश की कॉपी सच्चाई बयां कर रही
दरअसल, सिविल जज जूनियर डिवीजन की कोर्ट ने 24 दिसंबर 2024 को SHO मंसूरपुर को आदेश दिया था कि जमीन को डिस्टलरी के पक्ष में खाली करवाए और आदेश का अमल करते हुए 14 जनवरी 2025 को अदालत में कंप्लायंस रिपोर्ट पेश करें। आदेश की कॉपी से साफ जाहिर होता है कि पुलिस ने मंसूरपुर डिस्टलरी के साथ मिली भगत करके नहीं बल्कि कोर्ट के आदेशों के अनुपालन में जमीन का कब्जा मंसूरपुर डिस्टलरी को दिलवाया था। कोर्ट के आदेशों की कॉपी सभी पक्षों के पास मौजूद है बावजूद इसके इस पूरे प्रकरण में इसे राजनीतिक रंग देने की कोशिश की जा रही है।
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विवाद बाद हटाया गया था पुर्व मंत्री की हटाई गई सुरक्षा
बता दें कि, कुछ दिन पहले मंसूरपुर डिस्टलरी और खानपुर गांव के बीच मंदिर की भूमि को लेकर चल रहे विवाद मामले में जब पुलिस मंसूरपुर डिस्टलरी की तरफ से जमीन का कब्जा करने पहुंची तब संजीव बालियान भी गांव वालों के पक्ष में मंसूरपुर थाने पहुंचे थे और समर्थकों के साथ मिलकर पुलिस पर और अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे मौके पर मंसूरपुर SHO के साथ संजीव बालियान की जमकर बहस भी हुई थी जिसके बाद उनकी सुरक्षा वापस ले ली गई थी। लेकिन यूपी सरकार के आदेशों के बाद संजीव बालियान की Y कैटेगरी की सुरक्षा वापस दे दी गई है, बावजूद इसके मामला लगातार तूल पकड़ रहा है।
संजीव बालियान के समर्थकों ने विवादित मंदिर के पक्ष में और पुलिस अधिकारियों के भ्रष्टाचार के आरोप के मुद्दों पर महापंचायत बुलाने का ऐलान किया है, जबकि साफ हो चुका है कि कोर्ट के आदेशों का पुलिस केवल अमल कर रही थी मामला अदालत में है और अदालत के आदेश पर ही पुलिस ने मंसूरपुर डिस्टलरी को कब्जा दिलवाया था बावजूद इसके लगातार तेज हो रही सियासत के सवाल खड़े करती है।
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