क्या है पूरा मामला?
बता दें कि, इस खबर से कामेश्वर उपाध्याय इतने सदमे में आ गए कि कुछ ही सेकंड में उनकी भी मौत हो गई। इसके बाद उनकी पत्नी का शव वाराणसी से गाजीपुर लाया गया और दोनों का एक ही अर्थी पर अंतिम संस्कार किया गया। जब दोनों को एक ही अर्थी पर श्मशान ले जाया जा रहा था तो यह देखकर पूरे गांव के लोग गमगीन हो गए। इस शव यात्रा में गांव के सभी बच्चे और बड़े शामिल हुए और गांव के सामने गंगा तट पर एक ही अर्थी सजाकर दोनों का अंतिम संस्कार किया गया।
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इलाज के दौरान उनकी मां का निधन
छोटे बेटे ने चिता को मुखाग्नि दी। सीआरपीएफ जवान छोटे बेटे मृत्युंजय ने बताया कि उनके पिता रिटायर्ड लेखपाल कामेश्वर उपाध्याय 87 साल के थे। उनकी मां चंपा उपाध्याय 85 साल की थीं। उन्होंने बताया कि वाराणसी के एक अस्पताल में इलाज के दौरान उनकी मां का निधन हो गया। जैसे ही उनके पिता को यह खबर मिली, चंद सेकेंड में ही उनकी भी मौत हो गई।
ऐसे में मां का शव वाराणसी से गाजीपुर लाया गया और दोनों का एक साथ अंतिम संस्कार किया गया। उन्होंने बताया कि कामेश्वर उपाध्याय अपने चार भाइयों में सबसे छोटे थे। उनके तीन बेटे हैं। इनमें सबसे बड़े दयानंद यूपी पुलिस में हैं। दूसरे नंबर के शिवजी उपाध्याय परमाणु ऊर्जा विभाग में सीनियर मैनेजर हैं। इसी तरह सबसे छोटे बेटे मृत्युंजय सीआरपीएफ में हैं।
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