क्या था पूरा मामला?
मामले को लेकर राजू ने बताया कि 8 सितंबर 1993 को वह अपनी बहन के साथ स्कूल से लौट रहा था, तभी उसका अपहरण कर लिया गया। उसे राजस्थान ले जाया गया, जहां उसे बुरी तरह पीटा गया। उससे दिनभर कड़ी मेहनत करवाई जाती थी और खाने को सिर्फ एक रोटी दी जाती थी। रात में उसे बांध दिया जाता था। राजू ने बताया कि उसे बंधक बनाने वाले परिवार की छोटी बेटी ने उसे भगवान हनुमान की पूजा करने की सलाह दी। उसने राजू को भागने के लिए उकसाया। मौका पाकर राजू ट्रक में छिपकर राजस्थान से दिल्ली पहुंच गया।
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गाजियाबाद पुलिस की कड़ी मेहनत लाई रंग
राजू के मुताबिक वह मदद के लिए दिल्ली के कई थानों में गया, लेकिन किसी ने उसकी नहीं सुनी। इतने सालों में वह अपना इलाका और घर तक भूल चुका था। लेकिन कहानी ने नया मोड़ तब लिया जब 22 नवंबर को वह खोड़ा थाने पहुंचा। खोड़ा पुलिस ने राजू को खाना-पानी मुहैया कराया और सोशल मीडिया और मीडिया के जरिए उसकी कहानी लोगों तक पहुंचाई। इस प्रयास का नतीजा यह हुआ कि राजू के चाचा ने उसे पहचान लिया और परिवार को इसकी जानकारी दी। राजू का परिवार जब खोड़ा थाने पहुंचा तो पूरा माहौल भावुक हो गया। 31 साल से लापता अपने बेटे को पाकर परिवार बेहद खुश था। अपने दर्दनाक दिनों को याद करते हुए राजू ने कहा, मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं अपने परिवार को कभी दोबारा देख पाऊंगा।
पुलिस ने दी जानकारी
राजू के परिवार ने पुलिस का आभार जताया। राजू के पिता तुलाराम बिजली विभाग के रिटायर्ड कर्मचारी हैं। परिवार में उनकी 3 बहनें हैं। इस मामले में एसीपी साहिबाबाद रजनीश उपाध्याय ने बताया कि भीम सिंह नाम का युवक खोड़ा थाने पहुंचा और बताया कि 30 साल पहले साहिबाबाद से उसका अपहरण हुआ था। इस संबंध में 30 साल पहले साहिबाबाद थाने में केस दर्ज हुआ था। जांच के बाद युवक को शहीदनगर में रहने वाले उसके परिवार से मिला दिया गया है।
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