Bihar Assembly Election2025: बिहार विधानसभा चुनाव करीब है और रमजान का महीना भी चल रहा है. ऐसे में बिहार की राजनीतिक पार्टियां मुस्लिम समुदाय को साधने के लिए इफ्तार पार्टी का आयोजन हो रहा हैं। सियासी पार्टियां रोजा इफ्तार के बहाने मुस्लिम समुदाय मिलजुल रही है. साथ ही नमाज पढ़ने वाली टोपी लगाने से लेकर गमछे को पहनने तक मुस्लिम रंग में रचे-बसे हुए नेता नजर आ रहे हैं, किसी की दावत में जाने से मुस्लिम तंजी में इनकार कर रही तो किसी की महफिल में जाने को बेकरार बैठें हैं. इस तरह बिहार में मुस्लिम पॉलिटिक्स होती दिख रही है?
नीतीश कुमार की इफ्तार पार्टी का बॉयकाट
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा आयोजित इफ्तार पार्टी का प्रमुख मुस्लिम संगठनों ने बहिष्कार कर दिया है, जिससे राज्य में सियासी माहौल गरमा गया है। यह आयोजन, जो हर साल रमजान के दौरान सामाजिक समरसता का प्रतीक माना जाता है, इस बार विवादों में घिर गया। नीतीश कुमार की इफ्तार पार्टी की परंपरा दशकों पुरानी है, लेकिन इस बार इसे राजनीतिक रंग में रंगा हुआ माना जा रहा है। बहिष्कार की घोषणा के बाद जदयू और विपक्षी दलों के बीच तीखी बयानबाजी शुरू हो गई। राजद और कांग्रेस ने इसे नीतीश की अल्पसंख्यक विरोधी नीतियों का सबूत बताया, जबकि जदयू ने इसे विपक्ष की साजिश करार दिया। जदयू नेता ललन सिंह ने कहा, “यह विरोध राजनीति से प्रेरित है। इफ्तार पार्टी सामाजिक एकता का मंच है, न कि विवाद का।”
वही दूसरी ओर, मुस्लिम संगठनों का कहना है कि नीतीश का भाजपा के साथ गठबंधन और वक्फ बिल पर उनकी चुप्पी समुदाय के साथ विश्वासघात है। एक संगठन के प्रतिनिधि ने कहा, “हम वोट बैंक नहीं, अपने अधिकारों की रक्षा चाहते हैं।” इस बीच, भाजपा ने इस मुद्दे पर दूरी बनाए रखी और इसे जदयू का आंतरिक मामला बताया। 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले बिहार की सियासत में नया मोड़ ला सकती है।
नीतीश के बाद लालू और चिराग की इफ्तार पार्टी
बिहार में रमजान के दौरान इफ्तार पार्टियों का सिलसिला जारी है, और यह धार्मिक आयोजन अब सियासी मंच में तब्दील होता दिख रहा है। रविवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की इफ्तार पार्टी के बाद आज यानी सोमवार को राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने भी अपनी-अपनी इफ्तार पार्टियों का आयोजन किया। ये आयोजन न केवल सामाजिक एकता का प्रतीक हैं, बल्कि 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले वोट बैंक को साधने की रणनीति का हिस्सा भी माने जा रहे हैं।
लालू प्रसाद यादव की इफ्तार पार्टी पटना में अब्दुल बारी सिद्दीकी के आवास पर आयोजित की गई। इस दावत में महागठबंधन के नेता, तेजस्वी यादव, राबड़ी देवी और बड़ी संख्या में रोजेदार शामिल हुए। खास बात यह है कि नीतीश की इफ्तार पार्टी का बहिष्कार करने वाले मुस्लिम संगठन भी लालू के आयोजन में शिरकत करते दिखे। इसका कारण नीतीश के वक्फ (संशोधन) बिल 2024 के समर्थन को बताया जा रहा है, जिससे मुस्लिम समुदाय में नाराजगी है। लालू ने इस मौके का फायदा उठाते हुए अपनी सेक्युलर छवि को मजबूत करने की कोशिश की।
दूसरी ओर, चिराग पासवान ने लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के पटना कार्यालय में इफ्तार पार्टी रखी। इसमें नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, विजय सिन्हा और एनडीए के कई नेता शामिल हुए। चिराग ने इसे एकता का संदेश बताया, लेकिन मुस्लिम संगठनों ने इसका भी बहिष्कार किया। विश्लेषकों का मानना है कि चिराग अल्पसंख्यक और दलित वोटों को साधने की कोशिश में हैं।