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Tuesday, October 21, 2025
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    BEL engineer arrested: बीईएल इंजीनियर दीपराज चंद्रा पाकिस्तान को जानकारी बेचने के आरोप में गिरफ्तार

    BEL engineer arrested: भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) के 36 वर्षीय वरिष्ठ इंजीनियर दीपराज चंद्रा को हाल ही में एक बड़े जासूसी मामले में गिरफ्तार किया गया है। उन पर आरोप है कि उन्होंने पाकिस्तान को संवेदनशील जानकारी बेचने का गंभीर अपराध किया है। बीईएल, जो रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत एक नवरत्न सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी है, भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना के लिए रडार, संचार प्रणाली और अन्य उन्नत इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का निर्माण करती है। चंद्रा पर आरोप है कि उन्होंने इन उपकरणों, सुरक्षा प्रोटोकॉल और वरिष्ठ अधिकारियों से संबंधित गोपनीय जानकारी पाकिस्तानी खुफिया एजेंटों को दी।

    जांच में सामने आया है कि दीपराज चंद्रा (BEL) ने एक खास तरीका अपनाया था, जिससे उनकी गतिविधियां आसानी से पकड़ी नहीं जा सकीं। उन्होंने एक ईमेल खाता बनाया और उसका लॉगिन विवरण अपने पाकिस्तानी हैंडलर के साथ साझा किया। इसके बाद, वे सीधे जानकारी भेजने के बजाय उसे ड्राफ्ट फोल्डर में अपलोड करते थे। इस तकनीक से कोई संदेश भेजने या प्राप्त करने की आवश्यकता नहीं पड़ती थी और उनकी गतिविधियां छिपी रहती थीं। उनका हैंडलर उसी ईमेल खाते में लॉगिन करके ड्राफ्ट से जानकारी निकाल लेता था।

    इस मामले की जांच सैन्य खुफिया (मिलिट्री इंटेलिजेंस) (BEL) और कर्नाटक राज्य खुफिया एजेंसियों ने मिलकर की। चंद्रा की संदिग्ध गतिविधियों का पता तब चला जब उनके बैंक खातों में संदिग्ध वित्तीय लेनदेन देखे गए। जांच में यह भी पाया गया कि उन्हें बिटकॉइन के माध्यम से भुगतान किया जा रहा था। शुरुआती जांच में करीब 25,000 रुपये की राशि का खुलासा हुआ है, हालांकि कुल राशि का पता लगना अभी बाकी है।

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    कर्नाटक के गृह मंत्री जी. परमेश्वर ने इस घटना को गंभीर बताते हुए कहा कि दीपराज चंद्रा ने राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ विश्वासघात किया है। उनके लैपटॉप और मोबाइल फोन को जब्त कर लिया गया है और उनकी फोरेंसिक जांच जारी है। बीईएल ने भी उन्हें निलंबित कर दिया है और मामले की जांच के लिए एक विशेष समिति गठित की है।

    यह मामला स्पष्ट करता है कि विदेशी (BEL) खुफिया एजेंसियां भारत के रक्षा प्रतिष्ठानों को निशाना बनाने के लिए लगातार उन्नत तकनीकों का इस्तेमाल कर रही हैं। जांच एजेंसियां यह पता लगाने की कोशिश कर रही हैं कि इस जासूसी से राष्ट्रीय सुरक्षा को कितना नुकसान हुआ है और इसे रोकने के लिए आगे की कार्रवाई की जा रही है।

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