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Friday, December 13, 2024
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The Mid Post Exclusive – हाल-ए-उपचुनावः-कटेहरी में सपा की काट ढूंढ रही भाजपा, अनुसूचित जाति पर दारोमदार

मोहसिन खान

अंबेडकरनगर-13 नवंबर को होने वाले यूपी उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी कई सीटों पर सपा के किले का ध्वस्त करके नया रिकॉर्ड बनाना चाहेगी, लिहाज़ा उपचुनाव वाली सीटों पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद नज़र बनाएं हुए है। तो आज हम भी आपको हाल-ए-उपचुनाव की इस किश्त में अंबेडकर नगर की कटेहरी विधानसभा सीट के बारें में बताएंगे कि आखिरकार बीजेपी इस सीट पर क्यों चूक जाती है और सपा या फिर बसपा के उम्मीदवार क्यों बाज़ी मार ले जाते है। उपचुनाव को लेकर किस राजनीतिक दल ले क्या ख़ास रणनीति तैयार की है।

बसपा का रहा पूर्व में दबदबा, अब तलाश रही खोई ज़मीन

पूर्व के विधानसभा चुनाव के नतीजे बताते है कि कटेहरी विधानसभा सीट पर सबसे ज्यादा बार बसपा का कब्ज़ा रहा और उसके प्रत्याशी यहां से जीतते रहे, लेकिन 2022 के विधानसभा चुनाव के बाद तस्वीर बदल गई, बसपा ना केवल रसातल में गई बल्कि कटेहरी में उसकी राजनीतिक ज़मीन भी खिसक गई और शायद यहीं वजह है कि बसपा कटेहरी सहित अन्य सीटों पर उपचुनाव में अपने उम्मीदवार उतारकर अपनी खोई हुई सियासी ज़मीन को वापिस लाने की कोशिश में है। बता दें कि साल 2007 में बसपा के धर्मराज निषाद ने सपा उम्मीदवार जयशंकर पांडेय को शिकस्त दी थी, 2012 में सपा के शंखलाल मांझी से बसपा के लालजी वर्मा चुनाव हार गए। फिर 2017 में बाजी पलटी और बसपा के टिकट पर चुनाव लड़े लालजी वर्मा ने भाजपा के अवधेश द्विवेदी को चुनाव हरा दिया, 2022 में लालजी वर्मा ने बसपा को अलविदा कहा और सपा में आ गए, चुनाव लड़े और फिर से बीजेपी से अवधेश द्विवेदी को शिकस्त दे दी।

सपा का भी मजबूत किला है कटेहरी, ध्वस्त करने की बीजेपी की तैयारी!

कटेहरी विस से सपा प्रत्याशी लालजी वर्मा की पत्नी शोभावती वर्मा

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अंबेडकरनगर स्थित कटेहरी विधानसभा सीट समाजवादी पार्टी का मज़बूत किला मानी जाती है, क्योंकि भाजपा यहां से केवल एक बार ही चुनाव जीत पाई है। यहां से लालजी वर्मा सपा से विधायक थे और उनके लोकसभा चुनाव जीतने के बाद ये सीट खाली हुई और अब सपा ने यहां से लालजी वर्मा की धर्मपत्नी शोभवती वर्मा को प्रत्याशी बनाया है। सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने इस सीट की जिम्मेदारी चाचा शिवपाल यादव के कांधों पर सौंपी है, यही वजह है कि सपा इस सीट पर जी-तोड़ मेहनत कर रही है, क्योंकि वो 2022 के अपने प्रदर्शन को बरकरार रखना चाहेगी, दरअसल 2022 में कटेहरी सीट पर सपा उम्मीदवार लालजी वर्मा ने चुनाव जीता था। वहीं भाजपा ने सपा के किले को ध्वस्त करने की तैयारी तो की है, देखना होगा कि उसमे सफलता कितनी मिलती है। सीएम योगी आदित्यनाथ के अलावा इलाके में प्रभाव वाले मंत्रियों को लगाया गया है और साथ ही साथ कटेहरी में जातीय समीकरणों को ध्यान में रखते हुए प्रत्याशी चयन के रूप में अखिलेश के पीडीए की काट को भी ध्यान में रखा है।

अनुसूचित जाति के पास है ‘विधायक’ की चाबी

कटेहरी विधानसभा सीट पर जातीय समीकरणों की अगर बात की जाए तो यहां से बनने वाले विधायक की चाबी अनुसूचित जाति के मतदाताओं के पास होती है, यानि की पहले अनुसूचित और फिर उसके बाद ब्राह्मण बाहुल्य सीट पर निर्णायक भूमिका में आने वाले इन मतदाताओं का रूख जहां पलटा वहीं निज़ाम बदल गया। इस सीट पर अनुसूचित जाति में धोबी और पासी मिलाकर 95000 हजार वोट हैं, कटेहरी विधानसभा में जातीय समीकरण देखें तो साफ़ है कि यहां सबसे ज्यादा अनुसूचित जाति के वोटो की संख्या है और फिर उसके बाद ब्राह्मण वोटर्स है। जानकरी के मुताबिक कटेहरी विधानसभा सीट पर ब्राह्मण 50 हजार, क्षत्रिय 30 हजार, कुर्मी 45 हजार, मुस्लिम 40 हजार, यादव 22 हजार निषाद 30 हजार, राजभर 20 हाजर, मौर्य 10 हजार, पाल 7 हजार, बनिया 15 हजार, कुम्हार/कहार 6 हजार, और अन्य मतदाता करीब 25 हजार है।

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