UP RERA: उत्तर प्रदेश में रियल एस्टेट सेक्टर में घर खरीदारों की समस्याओं को देखते हुए यूपी रेरा ने एक सख्त कदम उठाया है। कई वर्षों से खरीदार शिकायत कर रहे थे कि बिल्डर उनसे पूरे पैसे वसूलने के बावजूद अधूरे फ्लैट का कब्जा देने पर मजबूर कर रहे हैं। इन शिकायतों पर संज्ञान लेते हुए उत्तर प्रदेश रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (यूपी रेरा) ने 8 मई को एक कड़ा नोटिस जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि अधूरे फ्लैट्स का पजेशन देना रियल एस्टेट अधिनियम, 2016 का सीधा उल्लंघन है।
रेरा ने यह भी साफ किया कि ऐसे मामलों में डेवलपर पर परियोजना की कुल लागत का 5% तक जुर्माना लगाया जा सकता है। रेरा के सचिव महेंद्र वर्मा के अनुसार, कई बिल्डर फ्लैट खरीदने के समझौते में ऐसी शर्तें जोड़ देते हैं, जिससे खरीदारों को बिना पूरी सुविधाओं के फ्लैट लेने के लिए मजबूर होना पड़ता है। यह न केवल कानून के खिलाफ है, बल्कि इससे लोगों की जान-माल की सुरक्षा भी खतरे में पड़ जाती है।
UP RERA के मुताबिक, बिना वैध ओक्युपेंसी सर्टिफिकेट (OC) या कंप्लीशन सर्टिफिकेट (CC) के फ्लैट का कब्जा देना अवैध है। प्रमोटर्स को तब तक फ्लैट का पजेशन नहीं देना चाहिए जब तक कि उनके पास फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट, बकाया मंजूरी और सामान्य सुविधाओं (जैसे पार्क, लिफ्ट, पानी, बिजली आदि) के प्रमाण न हों। ये सभी मापदंड पूरे होने के बाद ही नोएडा अथॉरिटी या अन्य स्थानीय निकाय OC जारी करते हैं।
एनसीआर और नोएडा जैसे क्षेत्रों में हजारों खरीदार अधूरे फ्लैट्स में रहने को मजबूर हैं। कई प्रोजेक्ट्स में तो फ्लोर ही अधूरे हैं या बिजली के तार खुले लटके हुए हैं। कहीं पार्किंग नहीं बनी है, तो कहीं लिफ्ट काम नहीं करती। कई ऐसे भी हैं जो सालों से पैसे देने के बावजूद अपना घर पाने की राह देख रहे हैं।
UP RERA की इस नई कार्रवाई से उम्मीद की जा रही है कि बिल्डरों की मनमानी पर रोक लगेगी और घर खरीदारों को उनका हक मिलेगा। यह आदेश न केवल लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखता है, बल्कि रियल एस्टेट सेक्टर में पारदर्शिता और जवाबदेही को भी मजबूती देगा।