किसान संगठनों ने अपने आंदोलन का पहले ही ऐलान कर दिया था। जिस पर पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी। जिस पर आज कोर्ट में सुनवाई हुई। किसान आंदोलन पर पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान हरियाणा सरकार के वकील ने कहा “प्रदर्शन से पहले दिल्ली सरकार से इजाजत लेनी चाहिए थी, इरादे ठीक नहीं हैं”।
वकील के जिरह पर , जज ने पूछा “किसान तो सिर्फ आपके रास्ते से गुजर रहे हैं तो आप उनका रास्ता कैसे रोक सकते हैं?”
किसान आंदोलन पर कोर्ट ने की बड़ी टिप्पणी
पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान कहा कि “कानून व्यवस्था हाथ से ना निकले, कानून व्यवस्था बनाए रखना राज्य का काम है, सौहार्दपूर्ण ढंग से मसले का हल जरुरी है। किसान आंदोलन पर पंजाब -हरियाणा हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि मौलिक अधिकारों में संतुलन होना चाहिए। प्रदर्शन करने वाले किसानों और आम लोगों दोनों के ही अपने-अपने अधिकार हैं। बल प्रयोग आखिरी विकल्प हो सकता है।
हाईकोर्ट की तरफ से यह भी पूछा गया कि जब किसान दिल्ली धरना देने के लिए जा रहे हैं, तो उनको हरियाणा की तरफ से क्यों रोका जा रहा है? तो हरियाणा ने रास्ते रोकने पर तर्क दिया कि कानून व्यवस्था की स्थिति को देखते हुए इंतेजामत किए गए हैं। वहीं केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए सतपाल जैन ने कोर्ट में कहा कि केंद्र सरकार लगातार बातचीत के लिए तैयार है। दूसरी तरफ पंजाब सरकार की तरफ से पक्ष रखा गया कि किसान शांतिपूर्वक आगे बढ़ रहे हैं।
15 फरवरी को फिर होगी सुनवाई
पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट की तरफ से कहा गया है कि किसानों को धरना प्रदर्शन करने के लिए एक जगह सुनिश्चित करके देनी होगी। वहीं दूसरी तरफ अब 15 तारीख को इस मामले में दोबारा सुनवाई होगी, जिसमें चंडीगढ़, पंजाब, हरियाणा और केंद्र सरकार की तरफ से स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है। इतना ही नहीं हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को भी पार्टी बनाने के लिए कहा है।