Kanpur News: ताबड़तोड़ हो रहे हादसे लोगों को मौत की नींद सुला रहे हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग हों या स्टेट हाईवे, आए दिन खून से लाल हो रहे हैं। कहीं ओवरस्पीड तो कहीं रॉन्ग साइड वाहन दौड़ाना इसका कारण बन रहा है, लेकिन सड़क हादसों की सबसे बड़ी वजह जो सामने आ रही है वह झपकी है। एक फरवरी से 15 अप्रैल यानी ढाई महीने के आंकड़ों पर गौर करें तो झपकी आने से 92 सड़क हादसे हुए और इसमें 42 घायल तो 37 की जान गई। इसका खुलासा आरटीओ और ट्रैफिक पुलिस की आकलन रिपोर्ट में हुआ है।
अधिकतर हादसे हाईवे पर ही हुए हैं। हाईवे पर तड़के कोई बाधा होने पर लंबा जाम लगता है। इसकी वजह यह है कि भारी वाहनों के चालक लाइन में ट्रक खड़ा करते जाते हैं और जब जाम खुलता है तो कई भारी वाहन चालक स्टेयरिंग पकड़े सो जाते हैं। ट्रैफिक और प्रवर्तन अमला जगाता है तो वह आगे बढ़ते है। यह स्थित हाईवे पर मार्ग अवरूद्ध होने पर होता है।
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भारी वाहन चालकों को लंबा सफर करना होता
एआरटीओ प्रवर्तन कानपुर नगर अंबुज ने बताया कि सड़क हादसों में से झपकी भी एक बड़ा कारण है। हादसे ही नहीं बल्कि जाम की वजह भी झपकी आना है। कई बार तो एक नहीं कई चालकों को जगा वाहन चलाने को कहना पड़ता है। इसकी वजह यह है कि भारी वाहनों के चालकों को लंबा सफर तय करना होता है।
ब्लैक स्पॉट पर 40 फीसदी हादसे
झपकी लगने से होने वाले सड़क हादसों में से 40 फीसदी हादसे हाईवे पर चिह्नित ब्लैक स्पॉट पर हुए। इसमें से 50 फीसदी हादसे लखनऊ और सागर हाईवे पर हुए हैं।
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