UP Agri Commodity Cluster: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य में कृषि क्षेत्र को आत्मनिर्भर, टिकाऊ और डिजिटल रूप से सशक्त बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए ‘कमोडिटी क्लस्टर’ दृष्टिकोण को प्रभावी ढंग से लागू करने के निर्देश दिए हैं। मंगलवार को उत्तर प्रदेश एग्रीकल्चर ग्रोथ एंड रूरल एंटरप्राइज इकोसिस्टम स्ट्रेंथनिंग प्रोजेक्ट (यूपी एग्रीज) की प्रगति की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इस पहल के तहत विशिष्ट कृषि उत्पादों के उत्पादन और प्रसंस्करण को बढ़ावा दिया जाएगा, जिससे किसानों की आय बढ़ेगी और ग्रामीण उद्यमिता को बल मिलेगा।
UP मुख्यमंत्री ने खासतौर पर वाराणसी में लाल मिर्च और सब्जी, बुंदेलखंड में मूंगफली और बाराबंकी से आज़मगढ़ के बीच केला, कालानमक चावल, हरी मटर, उड़द और आलू के क्लस्टर विकसित करने पर ज़ोर दिया। उन्होंने केले की खेती को बढ़ावा देने के लिए ‘टिशू कल्चर’ को प्रोत्साहित करने और परियोजना के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए सेक्टोरल विशेषज्ञों की नियुक्ति पर भी बल दिया। यह परियोजना लगभग ₹4000 करोड़ (यूएस $500 मिलियन) की लागत से विश्व बैंक के सहयोग से पूर्वी उत्तर प्रदेश और बुंदेलखंड के 28 जनपदों में छह वर्षों की अवधि के लिए लागू की जा रही है।
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UP मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि राज्य में ‘डिजिटल एग्रीकल्चर इकोसिस्टम’ के निर्माण की प्रक्रिया को तेज़ी से आगे बढ़ाया जाए, ताकि फसल, मौसम, बीज, सिंचाई, उर्वरक, बीमा, बाज़ार और लॉजिस्टिक्स से संबंधित सभी सूचनाएं एक एकीकृत प्लेटफॉर्म पर रियल टाइम उपलब्ध हो सकें। उन्होंने राष्ट्रीय तकनीकी मानकों पर आधारित एक डिजिटल कृषि नीति तैयार करने को भी कहा। मुख्यमंत्री ने ‘कृषि से उद्योग तक’ की सोच के साथ कार्य करते हुए मूल्य संवर्धन, प्रसंस्करण और स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन को प्राथमिकता देने का निर्देश दिया।
बैठक में बताया गया कि परियोजना का उद्देश्य बदलते जलवायु परिदृश्य के अनुरूप कृषि उत्पादन में सतत वृद्धि करना और किसानों को बाज़ार से बेहतर रूप में जोड़ना है। इसमें उत्पादकता वृद्धि, संसाधनों के कुशल उपयोग, कृषि आधारित उद्योगों के विकास और कृषि उत्पादों की गुणवत्ता सुधार पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। कृषि वित्तीय प्रणाली को सुदृढ़ बनाने पर जोर देते हुए, मुख्यमंत्री ने छोटे एवं सीमांत किसानों तथा कृषि आधारित सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों को ऋण सुविधा, जोखिम प्रबंधन और निजी निवेश को प्रोत्साहन देने के लिए कहा। अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (इर्री) के साथ छह वर्षीय उत्पादकता कार्यक्रम के लिए अनुबंध स्वीकृत हो चुका है। मुख्यमंत्री ने परियोजना के प्रत्येक घटक के परिणामों की नियमित समीक्षा करने और यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए कि इसका सीधा लाभ किसानों तक पहुंचे, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था आत्मनिर्भर बन सके।