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Wednesday, February 12, 2025
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मकर संक्रांति को कितने बजे तक रहेगा पुण्यकाल? जानिए स्नान और दान का महत्व

Makar Sankranti 2025: मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जाएगी। इसे देशभर में अलग-अलग नामों से जाना जाता है, जैसे पोंगल, खिचड़ी, उत्तरायण, माघ बिहू और मकरविलक्कू। बता दें कि मकर संक्रांति तब मनाई जाती है जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है। पूरे वर्ष में कुल बारह संक्रांति होती हैं, जिनमें से मकर संक्रांति और कर्क संक्रांति बेहद खास होती है। इन दोनों संक्रांतियों पर सूर्य की गति में परिवर्तन होता है। जब सूर्य की कर्क संक्रांति होती है, तो सूर्य उत्तरायण से दक्षिणायन हो जाता है और जब सूर्य की मकर संक्रांति होती है, तो सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण हो जाता है।

सूर्य के उत्तर दिशा की ओर बढ़ने के उत्सव को मकर संक्रांति कहा जाता है, इसलिए मकर संक्रांति को कुछ स्थानों पर उत्तरायण भी कहा जाता है। उत्तरायण काल ​​में दिन बड़े और रातें छोटी होने लगती हैं। वहीं, दक्षिणायन काल में ठीक इसके विपरीत होता है- रातें लंबी होने लगती हैं और दिन छोटे होने लगते हैं।

मकर संक्रांति पर स्नान और दान का महत्व

मकर संक्रांति के दिन तीर्थ स्थलों पर स्नान और दान का बहुत महत्व है। मकर संक्रांति के दिन दान या धार्मिक कार्य करने से सौ गुना अधिक फल मिलता है। मकर संक्रांति के दिन गंगा नदी में स्नान अवश्य करना चाहिए। कहा जाता है कि ऐसा करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। साथ ही व्यक्ति का स्वास्थ्य अच्छा रहता है और उसे धन की कोई कमी नहीं होती। लेकिन अगर गंगा में स्नान करना संभव न हो तो मकर संक्रांति के दिन नहाने के पानी में थोड़ा सा गंगाजल मिलाकर स्नान करें। ऐसा करने से भी व्यक्ति को गंगा स्नान के समान ही लाभ मिलता है।

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इन चीजों का करें दान

  • तिल
  • कंबल
  • खिचड़ी
  • कच्चा चावल और उड़द की दाल
  • ऊनी कपड़े
  • पैसे
  • गुड़

मकर संक्रांति का पुण्य काल

बता दें कि, मकर संक्रांति का पुण्य काल 14 जनवरी 2025 को सुबह 9:03 बजे से शुरू होकर शाम 5:46 बजे तक रहेगा। मकर संक्रांति का महापुण्य काल सुबह 9:03 बजे से 10:48 बजे तक रहेगा। मकर संक्रांति के पुण्य काल में स्नान, दान और सूर्य देव की पूजा करना अत्यंत फलदायी माना जाता है। मकर संक्रांति के दिन पुण्य काल में दान करें।

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