Mahakumbh 2025: उत्तर प्रदेश के महाकुंभ 2025 को लेकर बयानबाजी का दौर जारी है। नगीना सांसद और आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद के हालिया बयान पर विवाद खड़ा हो गया है। उन्होंने महाकुंभ पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि इस आयोजन में वही लोग जाएंगे जिन्होंने पाप किए हैं। उनके इस बयान को लेकर बीजेपी के मंत्री दिनेश प्रताप सिंह ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने चंद्रशेखर आजाद की तुलना एक कौआ से की, जो Mahakumbh की सकारात्मकता और धार्मिक आस्थाओं के विपरीत नकारात्मक बातें कर रहा है।
चंद्रशेखर आजाद ने कुंभ मेले को लेकर कहा था कि इसमें वही लोग भाग लेंगे जिन्होंने पाप किए हैं। उनके अनुसार, कुंभ का उद्देश्य उन लोगों को आकर्षित करना है जो पापों के कारण वहां पहुंचते हैं, लेकिन वह इस सवाल का समाधान नहीं देते कि पाप कब होते हैं। उनका यह बयान न केवल धार्मिक आस्थाओं को चोट पहुंचाने वाला माना गया, बल्कि संत समाज भी इस पर नाराजगी जताई। संतों ने इस बयान को महाकुंभ की पवित्रता के खिलाफ बताया।
बीजेपी मंत्री दिनेश प्रताप सिंह ने इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि Mahakumbh में चारों ओर कोयल की आवाज जैसी सुंदरता और सकारात्मकता फैली है, जबकि चंद्रशेखर आजाद जैसे किसी बाग में कौआ की तरह बोला रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि चंद्रशेखर के दिमाग में पाप भरा हुआ है और वह महाकुंभ के धार्मिक उद्देश्य को समझने में विफल हैं। बीजेपी ने उनके बयान को पूरी तरह से नकारा किया और इसे धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला बताया।
Mahakumbh 2025: योगी आदित्यनाथ ने कुंभ में मुसलमानों का स्वागत, लेकिन कुछ शर्तें रखीं
सपा नेता उदयवीर सिंह ने चंद्रशेखर के बयान का विरोध करते हुए कहा कि वे इसके साथ सहमत नहीं हैं। उन्होंने कहा कि कुंभ मेला धार्मिक विश्वासों का आयोजन है, जिसमें आस्थावान लोग पुण्य कमाने जाते हैं। इस बयानबाजी से यह साफ हो गया कि महाकुंभ पर राजनीतिक दलों और धार्मिक समुदायों के बीच मतभेद बने हुए हैं।
इसके पहले, मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने भी महाकुंभ पर विवादित टिप्पणी की थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि कुंभ मेला वक्फ बोर्ड की भूमि पर आयोजित किया जा रहा है, और मुस्लिम समुदाय ने इस पर कोई विरोध नहीं जताया। वहीं कुछ बाबाओं ने कुंभ में मुसलमानों के आने पर प्रतिबंध लगा दिया था, जिसे लेकर विरोध हुआ।
Mahakumbh पर यह बयानबाजी अब राजनीतिक और धार्मिक वातावरण में नई बहस को जन्म दे रही है।